अयोध्या: ‘हमको भी घोषित किया जाए कोरोना योद्धा’

अयोध्या। वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुके नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच अधिकारी, डाक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी और पुलिस को कोरोना वायरस का दर्जा दिया जा चुका है। हालांकि स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण कड़ी ऐसी भी है जिसको ड्यूटी और जिम्मेदारी के बावजूद कोरोना योद्धा के खिताब से दूर रखा …
अयोध्या। वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुके नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच अधिकारी, डाक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी और पुलिस को कोरोना वायरस का दर्जा दिया जा चुका है। हालांकि स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण कड़ी ऐसी भी है जिसको ड्यूटी और जिम्मेदारी के बावजूद कोरोना योद्धा के खिताब से दूर रखा गया है। 24 घंटे मरीजों को लाने और ले जाने की ड्यूटी में तैनात एंबुलेंस कर्मियों ने भी खुद को कोरोना योद्धा घोषित किए जाने की मांग उठाई है।
मरीजों को त्वरित और समय पर उपचार उपलब्ध कराने में एंबुलेंस और एंबुलेंस कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। घटना दुर्घटना हो या अचानक तबीयत का खराब होना अथवा फिर प्रसव पीड़ा। एक ही फोन कॉल पर एंबुलेंस मरीज अथवा घायल अथवा पीड़ित को अस्पताल पहुंचाने के लिए पहुंच जाती है।
वर्तमान में जनपद में सक्रिय कुल एंबुलेंस की तादाद 63 है। जिसमें 108 के तहत 29 व 102 के तहत 30 और एएलएस के तहत चार एंबुलेंस का संचालन हो रहा है। खास बात यह कि 10 एंबुलेंस और इस पर तैनात कर्मियों की ड्यूटी केवल कोरोना से संबंधित मरीजों को लाने और ले जाने में लगाई गई है।
एंबुलेंस कर्मियों को मरीजों घायलों अथवा पीड़ितों के निकट संपर्क में रहना पड़ता है और फर्स्ट एड उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी इनकी है। जिस तरह से संक्रमण का दायरा फैला हुआ है, उस हिसाब से एंबुलेंस कर्मियों के संक्रमित होने की अक्सर आशंका बनी रहती है। बावजूद इसके महामारी के दौरान बेहद करीब रहकर एंबुलेंस कर्मी मरीजों की दिन रात सेवा कर रहे हैं, लेकिन सरकार और समाज ने अभी इनको कोरोना योद्धा नहीं माना है।
जिला प्रोग्राम मैनेजर एंबुलेंस सेवा दीपक कुमार का कहना है कि जंजीर तभी बनती है जब कड़ियां आपस में जुड़ी हों। पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य कर्मी तो कोरोना वॉरियर घोषित कर दिए गए, लेकिन एंबुलेंस कर्मियों को छोड़ दिया गया। कोरोना से लेकर अन्य मरीजों को अस्पताल लाने ले जाने की जिम्मेदारी तो एंबुलेंस कर्मियों की ही है। ऐसे में दिन रात मेहनत और सेवा करने वाले एंबुलेंस कर्मियों को भी कोरोना योद्धा घोषित किया जाना चाहिए।