हल्द्वानीः UOU में क्षेत्रीय भाषाओं में रुचि नहीं दिखा रहे विद्यार्थी...कुमाऊंनी, गढ़वाली, नेपाली भाषा में प्रवेश न के बराबर
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हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिलाने के लिए कुमाऊंनी, गढ़वाली और नेपाली भाषा का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया है। मगर इन भाषाओं को पढ़ने में विद्यार्थी रूचि नहीं दिखा रहे हैं। यूओयू में विभिन्न रोजगारपरक कोर्स संचालित हो रहे हैं।
दहाई अंकों में भी नहीं पहुंची प्रवेश संख्या
देश के हर कोने से लोग यहां से दूरस्थ शिक्षा का लाभ ले रहे हैं। करीब 90 हजार विद्यार्थी विवि से विभिन्न पाठ्यक्रमों में पंजीकृत हैं। कई कोर्स तो ऐसे हैं, जिनमें सीटें तत्काल भर जाती हैं। मगर क्षेत्रीय भाषाओं के अध्ययन में प्रवेश लेने वालों का अभाव बना हुआ है। दहाई अंकों में भी इनमें प्रवेश नहीं हुए हैं, जबकि एक सेमेस्टर पूरा हो चुका है।
भाषाओं के प्रति नहीं बढ़ रही रुचि
जनवरी 2022 में कुमाऊंनी भाषा में एक, गढ़वाली भाषा में तीन, नेपाली भाषा में दो विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। जुलाई 2022 में कुमाऊंनी में एक, गढ़वाली में 3, नेपाली भाषा में 4 और जनवरी 2023 में कुमाऊंनी में एक, गढ़वाली में एक और नेपाली भाषा में मात्र एक विद्यार्थी ने प्रवेश लिया है।
तकनीकी कोर्स की बढ़ती डिमांड है मुख्य कारण
हालांकि, तकनीकी कोर्स की बढ़ती डिमांड भी इसका एक कारण माना जा रहा है। वहीं कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा मातृ भाषा होने के कारण भी छात्र इसमें रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए कर रहे लगातार प्रयास
कुलसचिव डॉ. रश्मि पंत का कहना है कि क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। भविष्य में क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।