World Sparrow Day: गौरैया संरक्षण और पर्यावरण के लिए पक्षियों की उपयोगिता पर विशेषज्ञों ने दिए टिप्स
नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान के निदेशक वीके मिश्र ने कार्यक्रम में किया संवाद

लखनऊ ,अमृत विचार। गौरैया हमारे शुद्ध वातावरण का द्योतक है। इसके संरक्षण की आवश्यकता है। अगर हमारे आस-पास गौरैया रहती है तो इसका मतलब है कि हम शुद्ध वातावरण में रह रहे हैं। अगर हमें इन्हें बचाना है तो अपने घरों में इनके रहने के लिए घोसले एवं मिट्टी के बर्तन में दाना पानी का इंतजाम करना चहिए। यह बातें सोमवार को नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान के निदेशक वीके मिश्र ने विश्व गौरैया दिवस पर प्राणी उद्यान के सारस प्रेक्षागृह में आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों पहले तक हमारे गांवों, घरों एवं छतों पर बड़ी संख्या में गौरैया दिखाई देती थी। सुबह से ही चिड़ियों का चहकना शुरू हो जाता था परंतु विगत कुछ वर्षों में गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है। जहां पहले घरों में रौशनदान, अटारी एवं टीन की छतें आदि बनाई जाती थी जिनमें गौरैया अपना घोसला बनाती थी, अब जीवन शैली में बदलाव के कारण यह प्रजाति विलुप्त होती जा रही है। कार्यक्रम में उप निदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे शरीर में दिल यदि टाइगर है तो गौरैया नब्ज। जैसे नब्ज को पकड़ते ही शरीर के रोग का पता चल जाता है वैसे गौरैया को देखकर वातावरण के बारे में पता लगाया जा सकता है।
वन्य जीव चिकित्सक डॉ. अशोक कश्यप एवं क्षेत्रीय वनाधिकारी आरके नेगी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन शिक्षाधिकारी नीना कुमार ने किया। प्राणी उद्यान की शिक्षाधिकारी नीना कुमार ने बताया कि गौरैया के प्रति आमजन में जागरूकता फैलाने के लिए सिविल अस्पताल चौराहे पर गौरैया से संबंधित पम्पलेट भी वितरित किए गए।
ये भी पढ़ें - साहब! मैं सुरेंद्र कुमार ...अभी जिंदा हूं...