बरेली : लव जिहाद पर बरेलवी उलेमा का फतवा, ऐसी शादियों को बताया हराम

बरेली : लव जिहाद पर बरेलवी उलेमा का फतवा, ऐसी शादियों को बताया हराम

बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में धर्मांतरण कानून लागू हो चुका है और बाकी कुछ राज्यों में इसे लेकर तैयारी है। लव जिहाद के आरोपों ने इस कानून की जरूरत पैदा की। हालांकि इसके बावजूद भी कुछ घटनाएं सामने आ जा रही हैं। इस इल्जाम के साथ कि मुस्लिम लड़के अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर गैर मुस्लिम लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाते हैं और फिर उनसे शादी करते हैं। हाल ही में इंटर कास्ट प्रेम प्रंसग के कई मामलों में ऐसे आरोप देखने को मिलते रहे हैं। जिस पर बरेलवी मसलक से जुड़े लोग फिक्रमंद हुए और मामले को अदालत में रखा। 

डॉक्टर मुहम्मद नईम ने दरगाह आला हजरत से जुड़े उलेमा से इस मसले पर सवाल किया। उन्होंने पूछा कि आजकल देखा जा रहा है कि मुस्लिम कौम के कुछ लड़के गैर मुस्लिम लड़कियों से मोहब्बत के इजहार और फिर शादी करने के लालच में गैर इस्लामी रस्मों को अंजाम दे रहे हैं। मसलन, हाथ में कड़ा पहनना, लाल धागे का कलावा बांधना, पेशानी पर टीका लगाना आदि। फिर सोशल मीडिया पर अपनी इस्लामिक पहचान छुपाकर गैर मुस्लिमों के नाम रखते हैं और लड़कियों से बातचीत करते हैं। कुरान व हदीस की रोशनी में ये बताएं कि मुस्लिम नौजवानों का ये सब करना जायज है या नाजायज?

उलेमा ने इस सवाल का जवाब एक फतवे के रूप में दिया है। जिसमें कहा है कि इस्लाम मानने वालों को हमेशा ये ख्याल रखना चाहिए कि इस्लाम ने उन्हें जीने का एक तरीका दिया है। जो काफी शानदार है। उनके मजहब ने अपने मानने वालों को मुसलमान जाहिर होने के लिए कुछ निशानियां व पहचान भी दी हुई हैं। लेकिन, माथे पर टीका लगाने, हाथ में कड़ा पहनने, और लाल धागा बंधने, औरतों को सिर के बालों में सिन्दूर लगाना आदि की इजाजत नहीं है। ये सब मुसलमानों पर जायज नहीं है। बल्कि ये सभी निशानियां दूसरे धर्मों की हैं। इसलिए कोई भी मुसलमान ये चीजें इस्तेमाल नहीं कर सकता। उन्हें इनके उपयोग से बचना चाहिए।

अगर फिर भी कोई मुस्लिम इनका इस्तेमाल करता है तो इसका मतलब ये है कि वो अपने मजहब इस्लाम और अपने मुसलमान होने की पहचान को छिपा रहा है, जोकि पूरी तरह से नाजायज व हराम है। इस्लाम मे टीका लगाने, जुन्नार बांधने और चोटी रखने वाले को शरीयत ने सख्ती के साथ गुनाहे कबीरा माना है। जो मुस्लिम लड़के अपनी इस्लामिक पहचान छुपाने की नियत से और दूसरे मज़हब की लड़कियों के साथ शादी करने की नीयत से ये सब प्रपंच रचते हैं। वो इस्लाम मजहब से निकल जाने के करीब हो जाते हैं।

उलेमा ने इस मसले पर विस्तार से कहा कि अल्लाह ने कुरान में कहा है कि ऐ मोमिनों गैर-मुस्लिम औरतों से उस वक्त तक निकाह न करो, जब तक वो ईमान वाली न हो जाएं (तर्जमा क़ुरान शरीफ़), इसलिए जो मुस्लिम लड़के हाथों में कड़ा या धागों का कलावा पहनते हैं,  सोशल मीडिया पर अपना इस्लामिक नाम छुपाते हैं या गैर मुस्लिम जैसा नाम रखते हैं, तो वो तौबा के हकदार हैं। इस्लाम ऐसे किसी भी कृत्य से बचने और तौबा करने की हिदायत देता है।

जब कोई मुस्लिम लड़का ऐसी किसी भी हरकत में शामिल है या उसकी नीयत और इमान में खोट पैदा हो रही है तो वक्त रहते उसे तौबा करनी चाहिए और खुदा की बारगाह में सजदा करना चाहिए। इस्लाम ने जिंदगी जीने का जो तरीका और सलीका दिया है उसी के मुताबिक बसर करें। इससे दुनिया और आखिरत में भी तकलीफों से बरी रहेंगे।

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