मस्जिद-ए-अयोध्या निर्माण को मिली मंजूरी, दो साल से था इंतजार
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इंदुभूषण पांडेय, अयोध्या, अमृत विचार। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को प्रदान कि गई भूमि पर अयोध्या मस्जिद निर्माण के लिए अंतिम मंजूरी दे दी है। अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण, जो शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार होना है, पिछले दो वर्षों से नक़शा पास ना होने कि वजह से रुका हुआ था।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट - इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने वर्ष 2021 में अयोध्या विकास प्राधिकरण को नक्शे जमा किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 09 नवंबर 2019 के अयोध्या फैसले में, अयोध्या अधिनियम 1993 के तहत अधिग्रहित क्षेत्र में या अयोध्या में किसी भी उपयुक्त प्रमुख स्थान पर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ उपयुक्त भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में अयोध्या प्रशासन ने अयोध्या शहर से लगभग 25 किमी दूर सोहावल तहसील के ग्राम धनीपुर में उक्त 5 एकड़ भूमि आवंटित की है।
अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट - इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के ट्रस्टी अरशद अफजाल खान ने बताया कि अयोध्या के डिवीजनल कमिश्नर और अयोध्या विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष गौरव दयाल ने मस्जिद ट्रस्ट को जानकारी दी है कि बोर्ड की बैठक में अयोध्या मस्जिद की परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। कुछ विभागीय औपचारिकताओं के बाद स्वीकृत नक्शे, इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन को कुछ दिनों के अंदर सौंप दिए जाएंगे।
अरशद का कहना है कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन आवंटित भूमि पे मस्जिद तथा अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए स्वीकृत नक्शे मिलने के बाद निर्माण कि योजना को अंतिम रूप देने के लिए रमजान के महीने के बाद ट्रस्ट की बैठक आयोजित करेगा , इस बैठक में मस्जिद निर्माण सम्बंधित अंतिम फैसले लिए जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि हमने 26 जनवरी 2021 को मस्जिद की नींव रखी है, हमने इस दिन को अयोध्या मस्जिद की नींव रखने के लिए चुना क्योंकि इस दिन भारत का संविधान सात दशक से अधिक समय पहले लागू हुआ था। हमारा संविधान बहुलवाद पर आधारित है, जो हमारी मस्जिद परियोजना का मूलमंत्र भी है। नई मस्जिद बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी, लेकिन उस संरचना की तरह नहीं होगी जो कभी अयोध्या में खड़ी थी। “अस्पताल केंद्र में रहेगा और 1400 साल पहले पैगंबर द्वारा सिखाई गई इस्लाम की सच्ची भावना में मानवता की सेवा करेगा। अस्पताल सामान्य कंक्रीट का ढांचा नहीं होगा, बल्कि सुलेख और इस्लामी प्रतीकों से परिपूर्ण मस्जिद की वास्तुकला के अनुरूप होगा
अरशद ने बताया कि यह परियोजना इस्लाम की सच्ची भावना पर दुनिया के लिए एक खिड़की खोलेगी, जो मानवता की सेवा का उपदेश देती है। जबकि अस्पताल बीमार और कमजोर लोगों का इलाज करेगा, सामुदायिक रसोई धर्म, जाति और पंथ की बाधाओं से परे भूखों को खाना खिलाएगी। मस्जिद साइट पर ग्रीन बेल्ट जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता पैदा करेगा और केंद्र स्वतंत्रता संग्राम में मुसलमानों के योगदान और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की विरासत पर शोध करेगा, जिसने भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की। और सबसे पहला यह भूमि सर्वशक्तिमान ईश्वर के सामने झुकने का स्थान होगी ।
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