जम्मू-कश्मीर : पुलिस ने आतंकी मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लट्राम के घर को किया कुर्क 

जम्मू-कश्मीर : पुलिस ने आतंकी मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लट्राम के घर को किया कुर्क 

(श्रीनगर) जम्मू-कश्मीर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अल-उमर मुजाहिदीन के संस्थापक और मुख्य कमांडर मुश्ताक जरगर की श्रीनगर स्थित संपत्ति कुर्क की। मुश्ताक जरगर को 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 (IC 814) को हाइजैक कर यात्रियों के बदले रिहा किया गया था।

पुलिस ने श्रीनगर में भगोड़े आतंकी मुश्ताक लट्राम के मकान को कुर्क किया श्रीनगर, दो मार्च (भाषा) जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बृहस्पतिवार को भगोड़े आतंकवादी मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लट्राम के श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित मकान को कुर्क कर लिया। लट्राम को 1999 में अफगानिस्तान के कंधार में अपहृत इंडियन एयरलाइंस के विमान के बंधक बनाए गए यात्रियों के बदले में दो अन्य आतंकवादियों के साथ रिहा किया गया था। पुलिस कर्मियों ने जरगर उर्फ लट्राम के मकान पर कुर्की की सूचना चस्पां कर दी थी। 

लट्राम के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रहने की खबर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर 540 वर्ग फुट के भूखंड पर स्थित इस इमारत को कठोर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (यूएपीए) अधिनियम के तहत कुर्क किया गया है। लट्राम 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में अपनी भूमिका के कारण सुर्खियों में आया था। 1999 में अफगानिस्तान के शहर कंधार में अपहृत इंडियन एयरलाइंस के विमान के बदले में जैश प्रमुख मसूद अजहर और हरकत-उल-मुजाहिदीन के प्रमुख उमर सईद शेख के साथ रिहा होने पर वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था। 

लट्राम को पिछले साल अप्रैल में सख्त यूएपीए के तहत एक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। इस कदम से सुरक्षा एजेंसियों को उसकी संपत्ति कुर्क करने का अधिकार मिला। पिछले साल गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि जरगर अपने संपर्कों और अल-कायदा तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों से निकटता के कारण न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में शांति के लिए खतरा है और केंद्र सरकार का मानना है कि वह आतंकवाद में शामिल है। 

1990 के दशक की शुरुआत में खूंखार माने जाने वाले जरगर ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) से नाता तोड़ लिया था और अपना खुद का अल-उमर मुजाहिदीन आतंकी समूह बना लिया। 2001 में संसद पर हुए हमले के पीछे मसूद अजहर का हाथ था, वहीं शेख उमर ने ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के लिए काम कर रहे अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की थी। 


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