वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि आधारित सम्पदा का संरक्षण जरूरी : डॉ. परोदा

वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि आधारित सम्पदा का संरक्षण जरूरी : डॉ. परोदा

लखनऊ, अमृत विचार। कृषि जैवविविधिता हमारी सम्पूर्ण जैव विविधिता का एक अभिन्न अंग हैं, इसमें मुख्यतः फसली किस्मे,  मवेशी एवं पशुधन,  घरेलु फसलें,  मिटटी एवं उसका आंतरिक पर्यावरण शामिल हैं। यह बातें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के भूतपूर्व महानिदेशक पद्म भूषण डॉ. राजेंद्र सिंह परोदा ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर सीएसआईआर– एनबीआरआई  मंग 'हमारी कृषि जैव विविधता का प्रबंधन' विषय पर आयोजित प्रोफेसर कैलाश नाथ कौल स्मृति व्याख्यान में कही। इस वर्ष के विज्ञान दिवस का थीम ‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ है।

अपने व्याख्यान में उन्होंने बताया कि अगर हम पृथ्वी की कुल जैवविविधिता को देखे तो अभी तक सिर्फ 10 प्रतिशत प्रजातियां ही ज्ञात हैं। वैश्विक खाद्य सुरक्षा को देखते हुए हमे अपनी कृषि आधारित सम्पदा का सरंक्षण एवं उसके सतत उपयोग पर ध्यान देना होगा। नई दिल्ली के राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो  द्वारा वर्ष 2004 में किये गए अध्ययन के मुताबिक विश्व की खाद्य पूर्ति वैश्विक रूप से परस्पर निर्भर है।

इसलिए देश की कृषि आधारित जैव विविधिता को सहेजना हमारे लिए आवश्यक है। इसके लिए हमे पारंपरिक विज्ञान के साथ साथ आधुनिक तकनीको जैसे प्रेसीजन कृषि तकनीकी, राष्ट्रीय सुरक्षा जीनबैंक, फील्ड जीनबैंक आदि का भी उपयोग करना होगा। वैश्विक स्तर पर विचार कर स्थानीय स्तर पर इसके लिए कड़े कदम उठाने होंगे।

इस मौके पर उन्होंने वर्ष 2023 का संस्थान का कैलेंडर भी जारी करने के साथ उन्होंने संस्थान के वनस्पति उद्यान, पादपालय एवं अभिदर्शन का भी भ्रमण किया। लखनऊ के करीब 20 स्कूल एवं कॉलेजों के 500 से ज्यादा विद्यार्थियों ने संस्थान की प्रयोगशालाओं, वनस्पति उद्यान एवं पादपलय का भ्रमण किया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद शिर्के ने सबका आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अदिति गुप्ता ने किया।

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