रामपुर: अब्दुल्ला 15 साल की उम्र में दागदार हुए, विधायकी भी चली गई

छजलैट प्रकरण में पिता आजम के साथ सड़क पर बैठकर हंगामा करना पड़ा था भारी

रामपुर: अब्दुल्ला 15 साल की उम्र में दागदार हुए, विधायकी भी चली गई

रामपुर, अमृत विचार। स्वार-टांडा के विधायक रहे अब्दुल्ला 15 साल की उम्र में ही दागदार हो गए थे। 2008 में जब छजलैट प्रकरण हुआ तब पिता आजम खां के साथ सड़क पर बैठकर पुलिस के खिलाफ हंगामा करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में नामजद हुए थे। इसी मुकदमे में उन्हें 13 फरवरी को दो साल की सजा सुनाई गई और सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायकी चली गई। 
  
यह मामला 15 साल पुराना है। 29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था, जिससे उनके समर्थक भड़क गए थे। इसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था। इस हंगामे में अब्दुल्ला समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने इस मामले में हंगामा करने वाले सभी लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था। 

अब्दुल्ला तब 15 साल के थे और 11वीं कक्षा में पढ़ते थे। इसी मामले में कोर्ट ने दो दिन पहले आजम खान और अब्दुल्ला आजम को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद रामपुर के शहर विधायक आकाश सक्सेना ने मंगलवार को विधानसभा के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता निरस्त कर सीट रिक्त घोषित करने की मांग की थी। बुधवार को विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की स्वार विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। इस बावत विधानसभा के विशेष सचिव मोहम्मद मुशाहिद ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। 

सच हमेशा सच होता है। न्यायालय ने आजम खां और उनके बेटे को दोषी मानते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी। नियमानुसार जब किसी को दो साल या इससे अधिक की सजा होती है, तो मुजरिम की किसी भी सदन की सदस्यता स्वतः ही निरस्त हो जाती है। विधानसभा सचिवालय ने इसी नियम और कानून का पालन किया है, जो स्वागत योग्य है। -आकाश सक्सेना, विधायक, शहर विधानसभा क्षेत्र, रामपुर

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