मुख्यमंत्री योगी ने 7 लाख 31 हजार इकाईयों को दी ‘संजीवनी’

मुख्यमंत्री योगी ने 7 लाख 31 हजार इकाईयों को दी ‘संजीवनी’

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है हर संकट साथ में अवसर भी लाता है। वैश्विक महामारी कोरोना भी इसका अपवाद नहीं। ऐसे में रोजगार मुहैया कराने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग एमएसएमई को प्रभावी हथियार बनाया है। सात लाख 31 हजार पुरानी और नई एमएसएमई इकाईयों को उनकी जरूरत के अनुसार 21 हजार …

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है हर संकट साथ में अवसर भी लाता है। वैश्विक महामारी कोरोना भी इसका अपवाद नहीं। ऐसे में रोजगार मुहैया कराने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग एमएसएमई को प्रभावी हथियार बनाया है। सात लाख 31 हजार पुरानी और नई एमएसएमई इकाईयों को उनकी जरूरत के अनुसार 21 हजार करोड़ रुपये का ऋण देकर उन्हें नई संजीवनी दी गयी है। इससे आत्मनिर्भरता के साथ रोजगार भी बढ़ रहे हैं।

कोरोना के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उपलब्ध कराए गए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वह प्रदेश के अधिकतम लोगों को रोजगार मुहैया कराना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कम पूंजी, कम जोखिम और न्यूनतम आधारभूत संरचना में सर्वाधिक रोजगार मुहैया कराने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग एमएसएमई अधिक मजबूत बनया गया है।

मुख्यमंत्री के निर्देश, विभाग की पहल और बैंकर्स के सहयोग से 90 से कम दिनों 14 मई से सात अगस्त 2020 में सात लाख 31 हजार पुरानी और नई एमएसएमई इकाईयों को उनकी जरूरत के अनुसार 21 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया जा चुका है। इससे 17 लाख लोगों को रोजगार का अवसर मिला। इसमें से 13 लाख रोजगार के मौके तो सिर्फ नई इकाईयों में सृजित हुए।

मालूम हो कि मई में जैसे ही प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की उसके तुरंत बाद ही योगी सरकार प्रदेश के व्यापक हित मे इसका अधिकतम लाभ लेने के लिए सक्रिय हो गई। इस क्रम में पैकेज की घोषणा के महज 24 घंटे के भीतर ही लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पांच कालिदास पर पहला मेगा ऑनलाइन लोन मेला आयोजित हुआ। इसमें 57 हजार इकाईयों को 2002 करोड़ रुपये का ऋण बांटा गया। 23 जून को वहीं पर आयोजित दूसरे ऑनलाइन लोन मेले में प्रधानमंत्री की ओर से एक लाख 35 हजार इकाईयों को 45 हजार के ऋण मंजूर किए गए।

सात अगस्त को वैसे ही आयोजन में 129753 इकाईयों को 4661 करोड रुपये के ऋण बांटे या मंजूर किए जा चुके हैं। सरकार का प्रयास है कि प्रदेश में अधिक से एमएएसएमई इकाईयां लगें। ताकि इनके जरिए प्रदेश देश का मैन्यूफैक्चरिंग हब बने और लोगों को स्थानीय स्तर पर उनके हुनर के अनुसार रोजगार भी मिले, इसके लिए फोकस नई इकाईयों पर है। ऋण पाने वाली इकाईयों में करीब 3 लाख 22 हजार नई हैं। इनको 11163 को ऋण मिल चुका है।

अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने कहा कि “मुख्यमंत्री की मंशा है कि सर्वाधिक आबादी और सर्वाधिक एमएसएमई इकाईयों के नाते आत्मनिर्भर भारत पैकेज का सर्वाधिक हिस्सा भी उप्र को मिले। हमारा प्रयास भी यही है। अब तक का ऋण वितरण और इसकी वजह से बढ़े रोजगार के अवसर के रूप में नतीजे सामने हैं। इसे और बेहतर करने का क्रम जारी रहेगा। “

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