बरेली : कटरी की जमीन पर कब्जे को लेकर कई बार गरजीं हैं बंदूकें, खूब हुआ खूनी खेल

बरेली, अमृत विचार। फरीदपुर और बदायूं के दातागंज से सटी रामगंगा नदी के कटरी क्षेत्र की जमीनों पर कब्जे का वर्चस्व कायम रखने के लिए कई बार जंग हो चुकी है। बंदूकें जब भी गरजी हैं तब खूनी खेल हुआ है। इसी जमीन को लेकर दो वर्ष पहले हुई फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। बुधवार शाम भी इसी जमीन पर एक बार फिर खूनी संघर्ष हुआ।
500 बीघा जमीन पर कब्जे को लेकर सरदार परमवीर सिंह का परिवार पीछे नहीं हटना चाह रहा था। दूसरी ओर सुरेश पाल तोमर प्रधान भी जमीन पर कब्जा करने का कई बार प्रयास कर चुका है। गंगा के कटान के बाद जो लोग जमीन छोड़कर पलायन कर गए। उन लोगों की जमीन पर कब्जा को लेकर संघर्ष आए दिन होता रहता है।
आंवला क्षेत्र में रामगंगा कटान कर रही थी, तब वहां ठोकरें बना दी गईं थीं। इसके बाद रामगंगा न अपना रुख कटका रमन और गोविंदपुर गांव की ओर कर दिया। करीब 12 वर्ष पहले कटान होन से गोविंदपुर गांव के दर्जनों परिवार घरों को छोड़कर पलायन कर गए थे। उनकी जमीन रामगंगा की कोख में समा गई। जब पानी घटता है तो लोग छोड़कर चले गए थे।
उनकी जमीन पर दबंग कब्जा जमा लेते हैं। इस जमीन पर परमवीर सिंह और सुरेश प्रधान का कब्जा शुरू हो गया। करीब 1000 बीघा जमीन परविंदर सिंह के कब्जेमें थी। इसी जमीन पर सुरेश भी कब्जा करना चाह रहा है।
सुरेश प्रधान पर हो चुकी है कई बार कार्रवाई
कटरी की जमीन पर सुरेश प्रधान पहले भी कई बार कब्जा जमा चुका है। तब पुलिस ने सुरेश को जिला बदर भी किया था। रंजिश और पुलिस का दबाव बढ़ा तो सुरेश बदायूं जिले के उझानी कस्बेमें जाकर रहने लगा। सपा सरकार में सुरश की बदायूं में भी तूती बोलती थी।
जिले की तीन तहसीलों में होती है जंग
बरेली जनपद की फरीदपुर, आंवला और मीरगंज तहसील में कटरी की जमीन को कई बार गोलियां तड़तड़ा चुकी हैं। कई लोगों की जान भी जा चुकी है। बताया जाता है कि दोनों पक्षों में जंग की वर्ष 2021 में सिरौली थाना क्षेत्र में चचेरों भाइयों के बीच फायरिंग हो चुकी है।
दो वर्ष से परमवीर बन गए बाधक
स्थानीय लोगों ने बताया कि चंडीगढ़ निवासी परमवीर सिंह करीब दो वर्ष पहलेयहां आए। उन्होंने त्रिकुनिया-हिम्मतपुर से करीब चार किलोमीटर रामगंगा किनारे अपना झाला बनाया। खाली पड़ी जमीन को परमवीर सिंह के परिवार ने भी उपजाऊ बनाना शुरू कर दिया। जमीन उपजाऊ होने के बाद सुरेश भी उसी जमीन को हथियाने की जुगाड़ में जुट गया। डा. परमवीर सिंह के झाले के पास ही सच की खोज एकेडमी है। परमवीर सिंह भी लेक्चर अटेंड करने विदेश जाते हैं। उन्हें जमीन के विवाद से कोई लेना-देना नहीं है।
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