मुरादाबाद : निजी केंद्रों पर जांच के लिए भटक रहीं प्रसूतायें, जिला महिला अस्पताल में छह महीने से बंद है अल्ट्रासाउंड सेंटर
गायनोकोलॉजिस्ट के भरोसे भर्ती मरीजों का किया जा रहा अल्ट्रासाउंड
मुरादाबाद,अमृत विचार। सरकार व स्वास्थ्य विभाग भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं व संसाधन पूरे होने का दावा करते है, लेकिन हकीकत बेहद खराब है। शहर का महिला अस्पताल संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है, यहां छह महीने से अल्ट्रासाउंड का कार्य ठप है। भर्ती प्रसूताओं की गायनोकोलॉजिस्ट द्वारा जांच की जा रही है। वहीं जिम्मेदार भी व्यवस्था पर शांत हैं। जिससे गर्भवती महिलाओं को परेशानी हो रही है।
जुलाई में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. आरपी मिश्रा का स्थानांतरण बरेली हो गया। तभी से अल्ट्रासाउंड का काम रुका हुआ है। नए भवन में बना अल्ट्रासाउंड केंद्र बंद है। जिला महिला अस्पताल में रोजाना गर्भवतियों समेत 100 से 150 महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। इसमें 10 से 15 महिलाएं अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। अल्ट्रासाउंड बंद होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा। ऐसे में महिलाएं हजारों रुपये खर्च कर बाहर अल्ट्रासाउंड कराने को मजबूर हैं। अस्पताल की सीएससी डॉ. सुनीता पांडे ने बताया कि दिसंबर में डिलीवरी कम होती है। अस्पताल में भर्ती होने वाली प्रसूताओं को अल्ट्रासाउंड कराए जा रहे हैं। जल्द ही व्यवस्था सुचारू होगी।
जाने से पहले दिया था प्रशिक्षण
जानकारों की मानें तो रेडियोलॉजिस्ट ने गायनोकोलॉजिस्ट को जाने से पहले अल्ट्रासाउंड करने का प्रशिक्षण दिया था। इसके बाद भी अस्पताल में भर्ती गर्भवतियों की जैसे-तैसे जांच की जा रही है।
संसाधन के अभाव में कम रहे मरीज
जिला महिला अस्पताल में संसाधनों के अभाव और मरीजों से व्यवहार अच्छा नहीं होने का ही नतीजा है कि प्रसूताओं ने सरकारी अस्पताल से मुंह मोड़ रही है। आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं। पिछले महीने 276 डिलीवरी हुई है। इसमें 175 सिजेरियन डिलीवरी शामिल है, जबकि इन एक जनवरी से प्रतिदिन पांच से सात डिलीवरी हो रही है।
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