High Court: कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति लाभों को रोकने के मामले में हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, जानें क्या कहा...
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति कर्मचारियों के खिलाफ चलने वाली अनुशासनात्मक कार्यवाहियों के कारण उनके सेवानिवृत्ति लाभों को रोकने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को तब तक अनसुलझी अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना नहीं करना चाहिए, जब तक कि आरोप गंभीर, जटिल या बाध्यकारी कारणों पर आधारित न हो।
वर्तमान मामले में सेवानिवृत्ति लाभों के वितरण में लंबे समय तक देरी होने पर कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के छोटे से जीवन में दो साल एक लंबी अवधि होती है। संभवतः नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी और संभाग के आयुक्त ने इस पर विचार नहीं किया, क्योंकि वे इस परेशानी से नहीं जूझ रहे थे। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा मामले में देरी किसी वैध प्रशासनिक बाधा से उत्पन्न नहीं हुई थी, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम थी।
अतः यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि सेवानिवृत्ति बकाया राशि के भुगतान में देरी दोषपूर्ण थी, इसलिए कोर्ट ने ग्रेच्युटी समूह बीमा और पेंशन के बकाया भुगतान में देरी पर 21 नवंबर 2019 से भुगतान की वास्तविक तिथियों तक 6% प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया, साथ ही निदेशक, स्थानीय निकाय और अन्य संबंधित अधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया।
इसके अलावा कोर्ट ने नगर पालिका परिषद, स्योहारा, बिजनौर के अधिशासी अधिकारी द्वारा पारित आक्षेपित आदेश को रद्द करते हुए उन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने प्रमोद कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया।
मामले के अनुसार 1977 से याची नगर पालिका परिषद, स्योहारा, बिजनौर में राजस्व मोहर्रिर के पद पर कार्यरत थे। उनकी सेवा 1982 में नियमित कर दी गई। वर्ष 2018 में याची की सेवानिवृत्ति से कुछ महीनों पहले उनकी प्रारंभिक नियुक्ति में अनियमिताओं का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई।
परिणामस्वरुप याची को निलंबित कर दिया गया। मई 2019 में उनके सेवानिवृत होने पर जांच अधूरी रह गई। सितंबर 2019 में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद जांच पूरी हुई और अधिकारियों ने उनके सेवानिवृत्ति लाभों को जारी रखने का फैसला किया, लेकिन ग्रेच्युटी, समूह बीमा और पेंशन के बकाया सहित अन्य परिणामी लाभों का वितरण कई वर्षों तक लंबित रहा।
नगर पालिका द्वारा देय राशि पर ब्याज का भुगतान करने से इनकार करने पर याची ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत वर्तमान याचिका दाखिल की, जिस पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति से पहले अनुशासनात्मक जांच पूरी हो जानी चाहिए, जिससे सेवानिवृत लोगों को अनावश्यक कठिनाई से बचाया जा सके और उनके लिए सेवानिवृत्ति लाभों का वितरण सुलभ कराया जा सके।