Kannauj हादसा: इंजीनियर और ठेकेदार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज, इतने साल तक हो सकती है आरोपियों को जेल...
कन्नौज, अमृत विचार। कन्नौज रेलवे स्टेशन पर हुए निर्माणधीन भवन गिरने व श्रमिकों के घायल होने वाले मामले में इंजीनियर व ठेकेदार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो गई है। अधिशाषी अभियंता ने जीआरपी थाना फर्रुखाबाद में पांच तरह की धाराओं में केस दर्ज कराया है। बताया गया है कि कार्यदायी संस्था मै. आशुतोष इंटरप्राइजेज निर्माण कार्य करा रही थी।
रविवार को शाम 4:44 बजे एक्सईएन/ जीएस/ आईजेडएन विपुल माथुर ने राजकीय रेलवे पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट में कहा है कि अमृत भारत योजना के तहत कन्नौज रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर एक के पीछे नई बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा था। यह कार्य बलिया के सुभाषनगर की मै. आशुतोष इंटरप्राइजेज की ओर से इंजीनियर सूरज प्रकाश मिश्रा व ठेकेदार रामविलास राय की ओर से हो रहा था।
निर्माण कार्य लोन नंबर आईजेडएन/ डिवी/ इंजी./ एनईआर/ आईजेडएन/ 2024/ 17/ 00857200102635 दिनांक आठ मई 2024 के विरुद्ध कराया जा रहा था। रिपोर्ट में हवाला दिया गया है कि स्लैब की कास्टिंग कानपुर अनवरगंज साइड से पहले स्पान दिनांक नौ जनवरी और दूसरी स्पान 10 जनवरी को कास्ट किया गया। 11 जनवरी को शेष तीनों स्थान में कास्टिंग करने के लिए एक लिफ्ट मशीन और बढ़ाकर दोनों सिरों में सुबह साढ़े नौ बजे से कास्टिंग शुरू की गई।
इसी दिन दोपहर करीब 2.25 बजे तीनों स्पान की स्लैब एवं बीम की शटरिंग गिर गई जिसके कारण ठेकेदार के 24 श्रमिक घायल हो गए। घायलों को जनपद के सिविल अस्पताल और राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती कराया गया। कानपुर के जीएसवीएम कॉलेज में भी घायलों को भेजा गया। कम चोटिल को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई और बाकी का इलाज चल रहा है। आरोप है कि ठेकेदार की ओर से कराए जा रहे कार्य से यह हादसा रेलवे कार्य में बाधा पहुंचाता है। इससे श्रमिक चोटिल होने के साथ रेलवे की छवि भी धूमिल हुई है। मामले की जांच एसआई दीपक त्रिवेदी को दी गई है।
इन धारओं में दर्ज हुआ मामला
भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत धारा 125, 289 व 290 और रेलवे एक्ट 1989 में धारा 146 व 153 में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
पांच साल तक की हो सकती है आरोपियों को जेल
इंजीनियर व ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर में जो धाराएं लगी हैं उसके मुताबिक पांच साल तक की जेल हो सकती है। इसमें लापरवाही से कार्य करना, चोट पहुंचाना, रेल यात्रियों की सुरक्षा को खतरा देना व कार्य में बाधा पहुंचना शामिल है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 का मामला तब दर्ज होता है जब किसी व्यक्ति की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डालने वाले कार्य होते हैं। इसमें शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाने का खतरा होता है। धारा 289 में मशीनरी से जुड़े कार्य लापरवाही से करना है। अगर कोई व्यक्ति मशीनरी से काम इतनी जल्दी व लापरवाही से करता है कि किसी की जान को खतरा हो सकता या चोट पहुंचती है तो सजा होती है। जुर्माना का भी प्रावधान है।
धारा 290 में इमारत का निर्माण कार्य करने व मरम्मत आदि में लापरवाही करता है, उसके लिए है। इसके अलावा रेलवे एक्ट 1989 की धारा 146 में कहा गया है कि रेलवे कर्मचारियों के कार्य में बाधा डालना, धारा 153 में अगर कोई व्यक्ति किसी रेल यात्री की सुरक्षा को खतरे में डालता है या ऐसा कारण बनता है तो पांच साल तक की जेल हो सकती है। इसमें जानबूझकर की गई उपेक्षा भी शामिल है।