बिहार में फिर दिखेंगे गैंडे... वाल्मीकि बाघ अभयारण्य कर रहा ‘गैंडों को फिर से बसाने’ की तैयारी
पटना। पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि बाघ अभयारण्य (वीटीआर) में गैंडों को फिर से बसाने से बिहार को गैंडों का अपना झुंड वापस मिल जाएगा। यहीं बिहार का एकमात्र गैंडा रहता है। सूत्रों के अनुसार वीटीआर को राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति के तहत संभावित स्थलों में से एक के रूप में चुना गया है, जहां संभवतः अगले साल गैंडों को असम से लाया जा सकता है। लगभग दो साल पहले वीटीआर में पर्यावास और सुरक्षा स्थितियों का आकलन करने और अभयारण्य में गैंडों को फिर से लाने के उपाय सुझाने के लिए एक समिति का गठन किया गया था।
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बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पी के गुप्ता ने बताया, शुक्रवार को हुई अपनी बैठक में समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की। जनवरी, 2023 के अंत तक राज्य सरकार को समिति की अंतिम रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उसके बाद वीटीआर में गैंडों की योजना को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया कार्य बल की सिफारिशों के आधार पर शुरू होगी। शुक्रवार को समिति की डिजिटल बैठक में भाग लेने वाले गुप्ता ने कहा कि वीटीआर में पुन: बसाने योजना के लिए संभावित रूप से पहचाने गए क्षेत्र गनौली और मदनपुर हैं।
उन्होंने कहा, फिलहाल वीटीआर में केवल एक गैंडा है। हालांकि, हमारे पास पटना चिड़ियाघर में भी 13 गैंडे हैं। इस योजना के फिर से शुरू होने के बाद वीटीआर में गैंडों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि होगी, जैसा कि उत्तर प्रदेश में दुधवा बाघ अभयारण्य में हुआ था। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में एक सींग वाले गैंडों की आबादी का लगभग 75 प्रतिशत भारत में है और भारतीय गैंडों की 93 प्रतिशत से अधिक आबादी असम में सिर्फ एक संरक्षित क्षेत्र- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में रहती है। गुप्ता ने कहा कि योजना के अनुसार गैंडों को भीड़-भाड़ वाले निवासों से बाहर निकाला जाएगा और वीटीआर में चिन्हित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य गैंडों को प्रजनन और आबादी बढ़ाने के लिए अधिक जगह उपलब्ध कराना है।
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