बरेली: बौद्धिक अक्षम्य बच्चों के लिए बेहतर है बिहेवियर थेरेपी पर प्रस्तुत किया शोधपत्र
मनोवैज्ञानिक शैलेश कुमार शर्मा ने रोल ऑफ बिहेवियर थेरेपी फॉर चिल्ड्रन विद इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी शीर्षक पर हरियाणा में पेश किया शोध पत्र

बरेली, अमृत विचार। बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों के लिए बिहेवियर थेरेपी कारगर है। इस संबंध में मनोविज्ञान विषय में पीएचडी कर रहे शैलेश कुमार शर्मा ने हरियाणा के गुरुग्राम में आयोजित यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निंग इन एन इंक्लूसिव एजुकेशन विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में अपना 12वां शोधपत्र प्रस्तुत किया।
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मनोवैज्ञानिक शैलेश कुमार शर्मा ने इस संबंध में बताया कि उन्होंने रोल ऑफ बिहेवियर थेरेपी फॉर चिल्ड्रन विद इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी शीर्षक पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। शैलेश ने डॉ. पूनम सिंह व डॉ. सीमा रानी सर्राफ के निर्देशन में शोध पूर्ण किया। शैलेश एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में पीएचडी भी कर रहे हैं।
उन्होंने अपने शोध में 10-14 वर्ष के बौद्धिक अक्षमता वाले 30 बच्चों का चयन किया। जिसमें बच्चों में गुणों के मापन के लिए विनलैंड सोशल मैच्योरिटी स्केल का उपयोग किया गया। चार माह तक चली बिहेवियर थेरेपी में बच्चों के व्यवहार से संबंधित 8 क्षेत्रों- सेल्फ हेल्प जनरल, सेल्फ हेल्प ईटिंग, सेल्फ हेल्प ड्रेसिंग, सेल्फ डायरेक्शन, ऑक्यूपेशन, कम्युनिकेशन, लोकोमोशन, सोशलाइजेशन पर कार्य किया गया।
उन्होंने बताया कि बौद्धिक अक्षमता से ग्रसित बच्चों में सीखने की प्रक्रिया बहुत ज्यादा धीरे होती है जिसमें सुधार के लिए बिहेवियर थेरेपी बहुत प्रभावी है जिसमें बच्चों को पुनर्बलन का उचित क्रमिक ढंग से उपयोग कर बच्चों के व्यवहार में सुधार लाया जाता है।
उन्होंने कहा कि बौद्धिक अक्षमता युक्त बच्चे बचपन से ही अपनी दैनिक कार्य करने में अधिक सक्षम नहीं होते हैं इसलिए उनको बिहेवियर थेरेपी और पेरेंट्स काउंसिलिंग के द्वारा प्रभावी सुधार लाया जा सकता है।
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