लखनऊ: गद्य विद्या का सबसे प्राचीन रूप कहानी है - डॉ अर्जुन पांडेय

अमृत विचार, लखनऊ। गद्य विद्या का सबसे प्राचीन रूप कहानी ही है। जो सुनकर याद हो जाये वही श्रेष्ठ कहानी है। तथ्य-परक कहानियों की प्रासंगिकता आज भी कम नहीं है। ये बात अवधी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पांडेय ने आज राजकीय बालिका इण्टर कालेज विकास नगर में संचालित अवधी कहानी लेखन एवं अनुवाद प्रशिक्षण के दौरान कही। कार्यशाला के चौथे दिन स्वरचित कहानी "मानुस तन पावा" का वाचन भी किया।
बता दें कि अवधी अध्ययन केन्द्र उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित कार्यशाला में कथारंग की संस्थापिका नूतन वशिष्ठ और अमिता पाण्डेय ने कहानी प्रस्तुत करने के ढंग सिखाये और भाव के अनुरूप पात्रों के कथन बोलना भी सिखाया। राजकीय बालिका इण्टर कालेज विकास नगर की प्रधानाचार्य कुसुम वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ अपनी बोली भाषा, साहित्य, संगीत, संस्कार से भी जुड़े और सभी को अन्य हुनर भी सीखना बहुत जरूरी है। वहीं इस दौरान मुख्य प्रशिक्षक प्रदीप सारंग ने स्वरचित कहानी "सुघरी" का सस्वर वाचन किया और अवधी शब्दों के अनेक प्रचलित स्वरूपों पर भी चर्चा की। इसके अलावा इस कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा गृह कार्य के रूप में लिखकर लाई गई कहानियों के वाचन किये गए। वहीं कार्यशाला में डॉ अभिमन्यु कुमार पाण्डेय तथा ममता निगम की विशेष उपस्थित रही।
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