हल्द्वानी: सरकारी आवास का मोह ...तबादले के बाद भी कब्जा बरकरार

हल्द्वानी, अमृत विचार। राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी से स्थानांतरित हो चुके कई चिकित्सक सरकारी आवास का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। करीब 10 से 15 चिकित्सकों का यहां बने आवासों पर कब्जा बरकरार है। इनमें एक पूर्व प्राचार्य समेत कुछ वरिष्ठ संकाय सदस्य शामिल हैं।
कॉलेज प्रशासन आवासों को खाली करने के लिए कई बार इन चिकित्सकों को नोटिस जारी कर चुका है, लेकिन इसका उन पर कोई असर नहीं हो रहा है।
हल्द्वानी का राजकीय मेडिकल कॉलेज उत्तराखंड का सबसे पहला मेडिकल कॉलेज है। जिसके अधीन डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल का संचालन होता है। यहां तैनात चिकित्सकों को वरिष्ठता के आधार पर कॉलेज परिसर में बने अलग-अलग आवासों का आवंटन किया जाता है।
यहां तैनात रहे पूर्व प्राचार्य व कई वरिष्ठ संकाय सदस्यों का कुछ वर्ष पूर्व अल्मोड़ा राजकीय मेडिकल कॉलेज और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में स्थांनातरण हो चुका है। जिन्हें रहने के लिए कॉलेज परिसर में टाइप-4 आवास आवंटित किये गये थे। कुछ चिकित्सक स्थांनातरण के बाद आवास खाली कर चुके हैं, लेकिन कइयों ने अभी तक कब्जा जमाया हुआ है।
हैरानी की बात ये है कि स्थानांतरित हुए चिकित्सक नवीन तैनाती के बाद मिले आवासों के साथ-साथ हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के आवासों का लाभ भी ले रहे हैं। इस संबंध में कॉलेज प्रशासन कई बार आवास खाली करने के लिए नोटिस दे चुका है। लेकिन चिकित्सक आवास खाली करने को तैयार नहीं हो रहे हैं।
नए चिकित्सकों को हो रही परेशानी
आवासों पर कब्जे के कारण नए चिकित्सकों को परेशानी उठानी पड़ रही है। कई नौकरी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। टाइप-4 के टॉप फ्लोर आवास में सीढ़ियां चढ़ने से कई चिकित्सकों व उनके माता-पिता की सेहत बिगड़ चुकी है। इसको लेकर वह कई बार कॉलेज प्रशासन से निचले आवास आवंटन की मांग भी कर चुके हैं। लेकिन आवास खाली न होने के कारण परेशानी बढ़ती जा रही है।
कई चिकित्सक आवास खाली कर चुके हैं। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने नवीन तैनाती के बाद आवास नहीं लिये हैं। आवास न मिलने के कारण किराये पर रह रहे हैं। इस संबंध में प्राचार्यों को कई बार चिठ्ठी भेजी जा चुकी है।
- डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी