नैनीताल: 180 सालों में सरोवर नगरी ने देखे कई उतार-चढ़ाव

नैनीताल, अमृत विचार। 18 नवम्बर 2022 को सरोवर नगरी ने अपने स्थापना के 180 साल पूरे कर लिए हैं। आज ही के दिन 1841 में अंग्रेज व्यपारी पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज की थी। समुद्ध तल से 1938 मीटर ऊंचाई पर स्थित नैनीझील इस शहर का प्रमुख आर्कषण है। इसका दीदार करने देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से सैलानी आते हैं। टिफिन टाप, हिमालय दर्शन चायना पीक कई दर्शनीय स्थल यहां मौजूद हैं। इसके अलावा दर्जनों ऐतिहासिक इमारतें आज भी ब्रिटिश दौर की याद दिलाती हैं।
बताया जाता है कि पी. बैरून ने इस इलाके के थोकदार से स्वयं बातचीत कर कहा कि वे इस इलाके को उन्हें बेच दें। पहले तो थोकदार नूरसिंह तैयार हो गये थे परन्तु बाद में उन्होंने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया। बैरून इस अंचल से इतने प्रभावित थे कि वह हर कीमत पर नैनीताल के इस सारे इलाके में सुन्दर नगर बसाने की योजना बना चुके थे। जब थोकदार नूरसिंह इस इलाके को बेचने से मना करने लगे तो एक दिन बैरून साहब अपनी किश्ती में बिठाकर नूरसिंह को नैनीझील में घुमाने के लिए ले गये और बीच में ले जाकर उन्होंने नूरसिंह से कहा कि तुम इस सारे क्षेत्र को बेचने के लिए जितना रुपया चाहो, ले लो, परन्तु यदि तुमने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया तो मैं तुमको इसी ताल में डूबो दूंगा। बैरून साहब अपने विवरण में लिखते हैं कि डूबने के भय से नूरसिंह ने स्टाम्प पेपर पर दस्तखत कर दिये और बाद में बैरून की कल्पना का नगर नैनीताल बस गया।
सरोवर नगरी की खोज का श्रेय अंग्रेज व्यापारी पी बैनर को जाता है, लेकिन इससे पहले तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल वर्ष 1823 के करीब नैनीताल पहुंचे थे। लेकिन उन्होंने इसे जगजाहिर इसलिए नहीं किया कि उन्हें सरोवर नगरी के नैसर्गिक स्वरूप के बिगड़ने का अंदेशा था। दूसरी ओर बैरन ने यहां से लौटते ही कोलकाता के अखबारों में नैनीताल के संबंध में लेख प्रकाशित करवाकर वाहवाही लूटी। ट्रेल का अंदेशा सही निकला और बसासत होने के बाद नैनीताल का सौंदर्य लगातार बिगड़ता चला गया।