Gujarat Election: विजय रूपाणी और नितिन पटेल के सियासी सफर का करीब-करीब अंत, जानें वजह
27 साल से राज्य में बीजेपी का शासन है।

चुनाव लड़ने से ‘इनकार’ करने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनकी सरकार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के सियासी सफर का
अहमदाबाद। गुजरात में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है। 27 साल से राज्य में बीजेपी का शासन है। इस बार कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी दमखम के साथ मैदान में हैं। इस बीच चुनाव लड़ने से ‘इनकार’ करने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनकी सरकार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के सियासी सफर का करीब-करीब अंत हो गया है।
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गुजरात की राजनीति में तीन दशक से अधिक समय तक सक्रिय रहे इन दोनों नेताओं के चुनाव नहीं लड़ने का कारण यह बताया गया कि वे अगली पीढ़ी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि दोनों को काफी प्रभावी तरीके से टिकट देने से मना कर दिया गया, क्योंकि भाजपा चुनाव में अधिक नये चेहरों को लाना चाहती है ताकि सरकार विरोधी लहर को बेअसर किया जा सके।
भाजपा की ओर से प्रत्याशियों की पहली सूची जारी किये जाने के बाद रूपाणी ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। भाजपा ने मुझे पांच साल तक गुजरात का मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया। अब पार्टी ने मुझे पंजाब प्रभारी बनाया है। मैंने टिकट नहीं मांगा।’ रूपाणी (66) फिलहाल राजकोट (पश्चिम) से विधायक हैं और वह अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।
म्यांमा से आकर राजकोट में बसने वाले जैन परिवार से ताल्लुक रखने वाले रूपणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे संबद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। रूपाणी को 1987 में राजकोट नगर निगम का पार्षद चुना गया था और वह 1996 से 1997 तक शहर के मेयर पद पर रहे। बाद में उन्हें गुजरात भाजपा का महासचिव बनाया गया। रूपाणी की ही उम्र के नितिन दो बार मुख्यमंत्री की कुर्सी के काफी करीब पहुंच गये, लेकिन शीर्ष पद उन्हें नहीं मिल सका।
2016 में आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री पद से हटने और फिर 2021 में रूपाणी के इस्तीफे के बाद, दोनों बाद नितिन पटेल मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार के रूप में उभरे। मेहसाणा के एक संपन्न परिवार से संबंधित पटेल ने अपना सियासी सफर 1977 में कडी नगर पालिका के पार्षद के रूप में शुरू किया।
1990 में वह कडी सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक बने। उन्होंने इस सीट से चार बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। पटेल 1995 में स्वास्थ्य मंत्री और 2016 में रूपाणी सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2017 के चुनाव के बाद वह दोबारा उपमुख्यमंत्री बने।
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