बरेली: आतिशबाजी विक्रेताओं के चेहरे खिले, देर रात बिके पटाखे
बरेली, अमृत विचार। कोरोना के दो साल के बाद इस दिवाली पर जिले के लोगों ने दिल खोलकर पटाखे फोड़े। पटाखा बाजार की चाल उम्मीद से बेहतर रही। अनुमान से ज्यादा करोड़ों रुपये के पटाखों की खरीदारी हुई। सौ फुटा और मिनी बाईपास रोड की थोक दुकानों के अलावा अस्थाई बाजार की दुकानों पर देर रात तक …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना के दो साल के बाद इस दिवाली पर जिले के लोगों ने दिल खोलकर पटाखे फोड़े। पटाखा बाजार की चाल उम्मीद से बेहतर रही। अनुमान से ज्यादा करोड़ों रुपये के पटाखों की खरीदारी हुई। सौ फुटा और मिनी बाईपास रोड की थोक दुकानों के अलावा अस्थाई बाजार की दुकानों पर देर रात तक पटाखा खरीदने वालों की भीड़ जुटी रही। देर रात 11.30 बजे तक पटाखा दुकानें खाली हो गईं। एक तरह से माल की कमी तक पड़ गई।
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कमी के पीछे कारोबारी मान रहे हैं कि निरस्त लाइसेंस के बहाली में देरी होने से माल ज्यादा मंगा नहीं सके, लेकिन दुकानों में माल नहीं बचा। पटाखों के कारोबार का हिसाब तो है नहीं लेकिन कारोबारी करीब 25 करोड़ की बिक्री बता रहे हैं। मिनी बाईपास के थोक विक्रेता कृष्ण देव सूद के अनुसार पटाखा कारोबार की चाल बहुत बढ़िया रही। उम्मीद से ज्यादा की बिक्री हुई। देर रात तक आतिशबाजी के खरीदारों की दुकानों पर भीड़ जुटी रही। इनके अनुसार जिलेभर में 20 करोड़ की आतिशबाजी बिकी।
अस्थाई बाजार में दुकानें लगाने वाले 90 प्रतिशत कारोबारी मिनी बाईपास और सौ फुटा की थोक दुकानों से ही पटाखा खरीदकर बेचते हैं। सौ फुटा रोड के थाेक पटाखा विक्रेता आशीष सिंघल ने बताया कि इस बार लोगों ने दिल खोलकर पटाखे फोड़े हैं। महंगाई और माल की कमी का कुछ असर तो बाजार पर दिखा लेकिन देर रात तक पटाखों से दुकानें खाली हो गईं। इनके अनुसार पटाखा बाजार 15 से 20 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
400 अस्थाई दुकानों पर पटाखे कारोबारियों ने खूब लाभ कमाया
तीन दिन के लिए जीआईसी मैदान, सुभाषनगर के रेलवे मैदान, हार्टमन मेला ग्राउंड, एमबी इंटर कॉलेज ग्राउंड, तुलसी नगर के मैदान, सीबीगंज, करगैना करगैना, कांधरपुर समेत तहसीलों में भी कस्बा क्षेत्रों में अस्थाई बाजार लगे थे। पटाखों की करीब 400 दुकानें सजी थीं। कारोबारियों ने देर रात तक पटाखे बेचकर खूब लाभ कमाया।
19 थोक दुकानों के लाइसेंस बहाल नहीं होते तो पटाखों पर और दिखती महंगाई
मिनी बाईपास और सौ फुटा रोड के 19 थोक दुकानों के निरस्त लाइसेंस को यदि बहाल नहीं किया गया होता तो महंगाई सिर चढ़कर बोलती। इन दुकानों के लाइसेंस दिवाली के नजदीक बहाल होने से जिलेभर के लोगों को लाभ मिला। हालांकि, देरी का खामियाजा लोगों ने महंगे पटाखे खरीदकर चुकाया है।
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