गांधी परिवार के भरोसेमंद Congress King Mallikarjun Kharge के पास कितना पैसा? यहां जानिए सबकुछ

गांधी परिवार के भरोसेमंद Congress King Mallikarjun Kharge के पास कितना पैसा? यहां जानिए सबकुछ

नई दिल्ली। लंबी जद्दोजहद और उठापटक के बाद आखिरकार बुधवार को कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया। सीताराम केसरी के 24 साल बाद कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में पहला गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष मिल गया है। 80 साल के खड़गे ने शशि थरूर को बड़े अंतर से अध्यक्ष चुनाव में पराजित किया है। …

नई दिल्ली। लंबी जद्दोजहद और उठापटक के बाद आखिरकार बुधवार को कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया। सीताराम केसरी के 24 साल बाद कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में पहला गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष मिल गया है। 80 साल के खड़गे ने शशि थरूर को बड़े अंतर से अध्यक्ष चुनाव में पराजित किया है। चुनाव से पहले ही माना जा रहा था कि खरगे आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। खड़गे को गांधी परिवार का पूरा साथ था। खड़गे को 7, 897 वोट मिले जबकि थरूर को महज 1,072 वोट ही मिले। 416 वोट अमान्य करार दिए गए। कुल 9,385 वोट पड़े थे।

चुनाव के दौरान कांग्रेस के 9,900 में से 9,500 डेलीगेट ने वोटिंग किया था। कांग्रेस में इससे पहले अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए थे। 2000 के चुनाव में सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को हराकर अध्यक्ष पद हासिल किया था। गांधी परिवार से करीबी और कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थन के चलते खरगे की दावेदारी पहले ही मजबूत मानी जा रही थी। मतदान से पहले सोनिया गांधी ने कहा था कि मैं इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रही थी।

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा इवेक्शन के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी जायदाद को लेकर जो शपथपत्र दाख़िल किया था उसके मुताबिक़ खड़गे का कुल एसेट 15,77,22,896 रुपए है। इस हलफनामें के मुताबिक उनके ऊपर 31,22,000 रुपये की लायबिलिटीज भी दिखाई गई है। वहीं कैश की बात करें तो एफिडेविट के अनुसार उनके पास 6.50 लाख रुपए का कैश दिखाया गया है, जिसमें 2.5 लाख रुपए का कैश उनकी पत्नी के नाम पर है।

साल 2019 में हुए लोकसभा इलेक्शन के एफिडेविड के मुताबिक मल्लिकाअर्जुन खड़गे के 6 से ज़्यादा बैंकों में अकाउंट है। इनमें प्रगति ग्रामीण बैंक, कैनरा बैंक, कारपोरेशन बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे नाम शामिल है। इन सभी बैंको में 1 करोड़ रुपए से ज़्यादा की राशि जमा दिखाई गई है। खड़गे के हलफनामे के अनुसार इन्होंने सरकारी स्कीमों जैसे एनएसस, पोस्टल सेविंग स्कीम, एलआईसी इन सबमें कोई निवेश नहीं किया है। कांग्रेस लीडर मल्लिकाअर्जुन खरगे के हलफनामे के अनुसार शेयर, बॉन्ड्स में तक़रीबन 25 लाख रुपए से ज़्यादा का इंवेस्मेंट किया है। वहीं FD की बात करें तो यहां उनके 8 खाते हैं जिसमें ज़्यादातर SBI के है। सिर्फ फिक्स्ड डिपॉजिट में 65 लाख रुपए का निवेश किया हुआ है। इन एफडीज से मल्लिकार्जुन खड़गे को काफी अच्छा ब्याज मिलता रहता है।

कांग्रेस के सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे के हलफनामे में एक ऐसी जानकारी सामने आई थी जिसने सबको हैरत में डाल दिया। हलफनामे के अनुसार इनके पास कोई गाड़ी नहीं है। 2019 लोकसभा इलेक्शन के दौरान भरे गए हलफनामें में मोटर व्हीकल के कॉलम में किसी भी गाड़ी का कोई ज़िक्र सामने नहीं आया है।

कर्नाटक के कलबुर्गी के रहने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक मजदूर नेता के तौर पर की थी। कर्नाटक के सबसे कद्दावर दलित नेताओं में उनकी गिनती होती है। उन्होंने कॉलेज के दिनों में ही छात्रसंघ का चुनाव जीतकर राजनीति में अपना कदम रख दिया था। वकालत की डिग्री लेने के बाद एक वकील के तौर पर उन्होंने कलबुर्गी में काम शुरू किया और इसी दौरान वे मजदूरों के हितों की लड़ाई लड़ने लगे। इससे उन्हें एक नई पहचान मिली।

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कौन हैं मल्लिकार्जुन खड़गे?
मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर यहां सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। यहां वह स्टूडेंट यूनियन के महासचिव भी रहे। गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद वकालत करने लगे। 1969 में वह एमकेएस मील्स कर्मचारी संघ के विधिक सलाहकार बन गए। तब उन्होंने मजदूरों के लिए लड़ाई लड़ी। वह संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली नेता रहे।

1969 में ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गुलबर्गा कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक बने। खरगे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2008 तक वह इस पद पर बने रहे। 2009 में पहली बार सांसद चुने गए।

मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। इसका समय-समय पर उनको इनाम भी मिला। साल 2014 में खरगे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद कांग्रेस ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तो मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।

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