कवि सम्मेलन: देवा मेला में बही रस की बयार

कवि सम्मेलन: देवा मेला में बही रस की बयार

अमृत विचार देवा/ बाराबंकी। देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में शनिवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रख्यात कवि अम्बरीष अम्बर के संयोजत्व में हुए कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सांसद उपेंद्र रावत ने माँ सरस्वती …

अमृत विचार देवा/ बाराबंकी। देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में शनिवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रख्यात कवि अम्बरीष अम्बर के संयोजत्व में हुए कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सांसद उपेंद्र रावत ने माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर व माल्यार्पण करके किया। कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ की कवयित्री सरला शर्मा ने सरस्वती वंदना, हे वरद हस्त वीणा पाणी, हे वाग देवी भाषा वाणी, हे श्वेतश्री हे ब्रम्हाणी, कल्याण करो हे कल्याणी पढ़कर की।

इसके बाद कमर इलाहाबादी ने पढ़ा आँखों में आँसू भी होंगे जज्बात आने दो , पूरे सब सपने होंगे रात तो आने दो। गढ्ढो से मुक्त सड़क होगी, ये वादा मेरा है सारे गढ्ढे भर जायेगे, बरसात तो आने दो।लखनऊ की कवयित्री सरला शर्मा ने अपनी पंक्तियां मुस्कराने की जो कीमत है चुकानी होगी , तुझको ठोकर भी जमाने की तो खानी होगी, कुछ भी हासिल है जमाने में कहाँ ऐसे ही, दर्द जो लेगा तो जीने में रवानी होगी पढ़कर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।

दिल्ली के कवि मनोज मिश्र ने पढा कि अगर डरते रहे यू ही तो पापी नोच खायेंगे। वही पर बल दिखा देंगे जहाँ कमजोर पाएंगे। जबलपुर के हास्य कवि सुदीप भोला ने पहिया तेरा साइकिल वाला टेढ़ा मेढा हुआ टूटी चैन, लेकर डबल इंजन चली बाबा की ट्रेन, पढ़कर लोगों को हसने पर मजबूर कर दिया। इटावा के कुमार मनोज ने पढ़ा कि घड़ा जब पाप का भरने लगे तो फूटना अच्छा , न रिश्ते में रहे गर्मी तो पीछा छूटना अच्छा।अगर परिवार का मुखिया ही बेईमान हो जाये तो फिर हर रोज झगड़े से घर का टूटना अच्छा।

श्रृंगार की कवियत्री मणिका दुबे जबलपुर ने पढ़ा कि हाल दिल का छिपाना नही आएगा, कौन तुम सा तराना नही गाएगा। आज मुस्कान की तुमने तारीफ की, अब मेरा मुस्कुराना नहीं आएगा। विनय शुक्ल बाराबंकी ने पढ़ा कि जो चाह रहे हैं कि समाज को कवि का दर्पण दिखे नहीं, बस चरण वंदना हो कविता कोई विरोध में लिखे नही।

प्रियंका शुक्ला उन्नाव ने पढ़ा कि किसी बेवस को अपने घर का साया कौन देता है, दरख्तों को भला पतझड़ में छाया कौन देता है। इसके अलावा कई अन्य कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर लोगो को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। मंच का संचालन कवि शशिकांत यादव ने किया।

कवि सम्मलेन कार्यक्रम की अध्यक्षता एमएलसी अंगद सिंह ने की। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में सांसद उपेंद्र रावत, एमएलसी अंगद कुमार सिंह, महामंत्री संदीप गुप्ता, अरविंद मौर्या, राजा राय स्वरेश्वर वली, संदीप सिन्हा, एडवोकेट सुरेश चन्द्र गौतम, तालिब नजीब कोकब , प्रताप जायसवाल, अरुण मिश्रा, अजीत मौर्या, मुकेश मिश्रा आदि सहित हजारों की संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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