जम्मू में एक साल ज्यादा समय से रह रहे लोग बन सकेंगे वोटर, फैसले पर बवाल

जम्मू में एक साल ज्यादा समय से रह रहे लोग बन सकेंगे वोटर, फैसले पर बवाल

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची संशोधन का कार्य रफ्तार से जारी है। इसी बीच जम्मू प्रशासन की तरफ से जारी नए आदेश ने जिले में एक साल से रह रहे लोगों के लिए मतदाता सूची तक की राह आसान कर दी है। मंगलवार को दिए गए आदेश में तहसीलदारों या राजस्व के अधिकारियों को आवास …

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची संशोधन का कार्य रफ्तार से जारी है। इसी बीच जम्मू प्रशासन की तरफ से जारी नए आदेश ने जिले में एक साल से रह रहे लोगों के लिए मतदाता सूची तक की राह आसान कर दी है। मंगलवार को दिए गए आदेश में तहसीलदारों या राजस्व के अधिकारियों को आवास प्रमाण पत्र जारी करने के अधिकार दिए गए हैं। प्रमाण पत्र जारी करने का मकसद उन लोगों को मतदाता सूची में शामिल करना है, जो रजिस्ट्रेशन में परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

केंद्र शासित प्रदेश में नए मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन, नाम हटाने, सुधारने और जगह छोड़कर जा चुके या गुजर चुके मतदाताओं के नाम हटाने को लेकर विशेष संशोधन प्रक्रिया चल रही है। मंगलवार को जारी आदेश में जिला निर्वाचन आधिकारी और उपायुक्त अवनी लवासा ने उन दस्तावेजों की सूची भी जारी की है, जिन्हें निवास के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है।

आदेश के अनुसार, विशेष संशोधन प्रक्रिया के दौरान जम्मू जिले में पात्र मतदाता का रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने के लिए सभी तहसीलदारों को जरूरी फील्ड वेरिफिकेशन के बाद उन लोगों को आवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया जाता है, जो एक साल से ज्यादा समय से जम्मू जिला में रह रहे हैं। यह सामने आया था कि जरूरी दस्तावेज नहीं होने के चलते कुछ पात्र मतदाता रजिस्ट्रेशन में परेशानियों का सामना कर रहे थे।

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ये दस्तावेज कर सकते हैं जमा
1. एक साल के लिए पानी/बिजली/गैस कनेक्शन
2. आधार कार्ड
3. राष्ट्रीयकृत/अनुसूचित बैंक/पोस्ट ऑफिस की मौजूदा पासबुक
4. भारतीय पासपोर्ट
5. जमीन के मालिकाना हक का किसान बही समेत राजस्व विभाग का रिकॉर्ड
6. अगर किरायेदार हैं, तो रजिस्टर्ड रेंट या लीज डीड
7. अगर खुद का घर है कि सेल डीड

खास बात है कि दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि नए वोटर के रजिस्ट्रेशन में इन दस्तावेजों के अलावा निवास के अन्य प्रमाण पत्र भी स्वीकार किए जाएंगे। हालांकि, ऐसे मामलों में इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर की तरफ से अधिकार प्राप्त अधिकारी को फील्ड वेरिफिकेशन करना होगा।

खास बात है कि यह निर्देश ऐसे समय पर जारी हुआ है, जब भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक दल गैर स्थानीय लोगों को वोटर लिस्ट में शामिल करने को लेकर चिंता जता चुके हैं। तत्कालीन सीईओ हृदेश कुमार ने अगस्त में कहा था कि मतदाता सूची के विशेष संशोधन के बाद जम्मू और कश्मीर में करीब 25 लाख अतिरिक्त मतदाताओं के शामिल होने की संभावना है। इस फैसले के बाद अगर कोई बाहरी व्यक्ति भी एक साल से अधिक समय तक जम्मू में रहता है तो उसे वोटिंग का अधिकार मिल जाएगा।

विरोध भी शुरू
अब नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस फैसले का विरोध किया है. जोर देकर कहा गया है कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर की वोटर लिस्ट में 25 लाख नए वोटरों को जोड़ने की कवायद कर रही है।

जारी बयान में एनसी ने कहा है कि सरकार 25 लाख गैर स्थानीय लोगों को वोटर लिस्ट का हिस्सा बनाने वाली है। हम इस फैसले का विरोध करते हैं.बीजेपी चुनावों से डर रही है, उसे पता है कि वो बुरी तरह हारने वाली है। जनता को बीजेपी की इस साजिश को बैलेट बॉक्स के जरिए हरा देना चाहिए।

उपायुक्त के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने लिखा कि पार्टी सरकार के इस कदम का विरोध करती है। ट्वीट में आगे कहा गया है कि बीजेपी चुनावों से डरती है और जानती है कि वह बुरी तरह हार जाएगी।

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