स्मृतियां : अयोध्या की सियासी जमीन पर मुलायम की सदा रही पैनी नजर

स्मृतियां : अयोध्या की सियासी जमीन पर मुलायम की सदा रही पैनी नजर

अमृत विचार, अयोध्या। सपा संरक्षक रहे दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव का अयोध्या से गहरा नाता रहा। अयोध्या की सियासी जमीन पर हर वक्त उनकी पैनी नजर रही। यही कारण था कि अयोध्या जैसी प्रतिष्ठा की सीट से उन्होंने जयशंकर पांडेय और बाद में पवन पांडेय को विधायक तक चुनवा लिया। मौजूदा भाजपा विधायक वेद …

अमृत विचार, अयोध्या। सपा संरक्षक रहे दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव का अयोध्या से गहरा नाता रहा। अयोध्या की सियासी जमीन पर हर वक्त उनकी पैनी नजर रही। यही कारण था कि अयोध्या जैसी प्रतिष्ठा की सीट से उन्होंने जयशंकर पांडेय और बाद में पवन पांडेय को विधायक तक चुनवा लिया। मौजूदा भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्त पर भी मुलायम सिंह यादव ने यहां व्यापारियों पर पकड़ बनाने के लिए दांव आजमाया था। वेद गुप्त अयोध्या सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था।

यही नहीं राम मंदिर आंदोलन के दौर में ही मुलायम सिंह यादव ने फैजाबाद संसदीय सीट पर भाजपा से मुकाबला करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रहे मित्रसेन यादव से समझौता कर लिया था और भाजपा को यहां पराजय का मुंह देखना पड़ा था। अदने कार्यकर्ता को कैसे ऊंचा मुकाम दिया जा सकता है यह मुलायम सिंह यादव ने करके दिखाया, जिसकी नजीर अवधेश प्रसाद हैं, जो कई बार प्रदेश सरकार की कैबिनेट में रहे।

मामूली कार्यकर्ता लीलावती कुशवाहा को विधान परिषद तक पहुंचाया। हीरालाल यादव को न सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष बल्कि सांसदी तक का टिकट और फिर विधानपरिषद पहुंचा दिया। मुलायम सिंह की ही देन है निहायत जमीन से जुडे साधारण कार्यकर्ता स्व. परशुराम यादव की पीठ पर हाथ रखा तो उन्हें विधानसभा पहुंचा दिया।

उनका ऐसा भी जुड़ाव था कि वह अपने नेता के सम्मान में सभा के लिए हेलीकॉप्टर की लैंडिंग न हो पाने पर उड़न खटोले से कूदने तक को तैयार हो गए थे। समाजवादी पार्टी का हर एक कार्यकर्ता भी उनसे बेपनाह मोहब्बत करता था। यही कारण था कि रुदौली में उन्हें एक-एक रुपए के 25 हजार सिक्कों से तौला गया था।

एक पलड़े पर मुलायम सिंह तो दूसरे पलड़े पर सिक्कों का ढेर लगा हुआ था। मुलायम राजनीतिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और धार्मिक रूप से भी अयोध्या से जुड़े रहे। उन्होंने कई समाजवादी नेताओं को सियासत के ऊंचे के मुकाम पर पहुंचाया तो कार्यकर्ताओं को व्यक्तिगत रूप से सम्मान दिया। आज जब मुलायम सिंह नहीं हैं तो लोग उन्हें अश्रुपूरित नैनों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख लोगों के संस्मरण।

…जब मुलायम ने कहा था, हेलीकॉप्टर नीचे करो, मैं कूदूंगा

मुलायम सिंह यादव जी से मेरी पहली मुलाकात संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन पानदरीबा पार्टी कार्यालय लखनऊ में हुई थी। प्रदेश सचिव भगवती सिंह ने मेरा उनसे परिचय कराया था। देश में आपात काल खत्म होने के बाद वर्ष 1977 में पूरे देश में चुनाव हुए थे। उत्तर प्रदेश में अयोध्या और लखनऊ में उपचुनाव होना था। प्रदेश में राम नरेश यादव के मुख्यमंत्रित्व में सरकार बन चुकी थी। मुलायम सहकारिता व पशुपालन मंत्री थे। मुझे जनता पार्टी की ओर से अयोध्या विधान सभा से उपचुनाव लड़ने का मौका मिला और मैं चौधरी चरण सिंह के आवास पर बैठा था। थोड़ी देर बाद मुलायम सिंह आये और हम दोनों लोग चौधरी साहब से मिले।

चौधरी साहब ने मुलायम सिंह जी को निर्देश देते हुए कहा तुम्हें अयोध्या में रह कर जयशंकर को चुनाव जिताना है, यह चुनाव जनता पार्टी कि इज्जत का सवाल है। मुलायम अयोध्या के उपचुनाव में लगभग 27 दिन विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में गये और लोगों से मिलकर जनता पार्टी को समर्थन दिलाया, जिससे कांग्रेस पार्टी के साथ काटे के संघर्ष से जनता पार्टी की जीत हुई। उत्तर प्रदेश में काफी संघर्ष के बाद मुलायम यादव जब मुख्यमंत्री बने तो उनके सर पर कांटों का ताज था। मुझे याद है 1993 में विधान सभा के चुनाव में फैजाबाद गुलाबबाड़ी के मैदान में चुनावी सभा का आयोजन था।

गुलाबबाड़ी का मैदान बरसात के कारण पानी से भर गया था। हेलीकॉप्टर से उतरने के लिए बहुत ही कम जगह थी। पायलट ने हेलीकाप्टर उतारने से मना कर दिया, लेकिन मुलायम सिंह ने पायलट से कहा कि अगर मैं फैजाबाद में नहीं बोलूंगा तो जयशंकर का नुकसान हो जायेगा। तुम हेलीकाप्टर को नीचे करो मैं जमीन पर कूद जाऊंगा और जब तक मीटिंग चलेगी तब तक तुम ऊपर उड़ते रहना और जब इशारा हो जायेगा तो नीचे उतरना और मैं फिर कूद कर चढ़ लूंगा। मुलायम सिंह जी ने गुलाबबाड़ी के मैदान में जनसभा की और पायलट ने जान को जोखिम में डालकर गुलाबबाड़ी के कोने में किसी तरह से उतारा था।

कोई कमी हो तो बताओ मैं अखिलेश से बोल दूं

सपा पूर्व मंत्री एवं प्रदेश प्रवक्ता तेज नारायण पांडेय पवन ने कहा कि, नेताजी माननीय मुलायम सिंह यादव के रूप में मैंने एक अपना शिक्षक, अभिभावक, मार्गदर्शक व आदर्श गुरु खोया है। जिन्होंने मुझ जैसे साधारण परिवार के बेटे को राजनीति में गढ़ने और आगे बढ़ाने का काम किया। नेताजी का अयोध्या से खासा लगाव रहता था। वह सदैव अयोध्या के विकास-तरक्की और खुशहाली के लिए चिंतित रहते थे। जब मैं अयोध्या से विधायक और प्रदेश में राज्यमंत्री था।

नेताजी से जब भी मिलता था या तो सदैव इस बात को लेकर क्यों वे खासे चिंतित रहते थे कि अयोध्या की तरक्की और विकास में कोई कमी नहीं होने देना। अयोध्या एक धार्मिक स्थल है वहां पर देश दुनिया के लाखों श्रद्धालु आते रहते हैं। वहां की खुशहाली और विकास ऐतिहासिक स्तर पर होनी चाहिए। नेताजी कहते थे कि बताओ कोई कमी हो तो मैं मुख्यमंत्री अखिलेश से बोल देता हूं।

नेताजी से जब भी मिलने का अवसर मिलता था वह कहते थे कि सुनो पवन! गरीब गुरबों का दुखदर्द में सदा साथ खड़े रहो। इससे तुम्हें आत्मिक सुख और सियासी ताकत मिलेगी। गरीब पीड़ित का दुख दर्द बांट लेना किसी नेता के लिए सबसे सुखद अनुभूति होती है। सियासत में संघर्ष का रास्ता ही मंजिल पर ले जाता है। यह सदैव ध्यान रखना। आज अपने ऐसे नेता के निधन पर अपनी दुनिया उजड़ी हुई महसूस कर रहा हूं। हम सबकी ईश्वर से यही प्रार्थना है नेताजी को देवलोक में श्रेष्ठ स्थान प्रदान हो और उनकी पुण्यात्मा को शांति मिले।

जब बोला था जिसे टिकट देगें उसे जितावोगे..

शहीद अशफाक उल्ला खां शोध संस्थान के निदेशक सूर्यकांत पांडेय ने बताया कि यह बात वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव के पूर्व की है। जब वह अयोध्या से वेद प्रकाश गुप्ता को चुनाव लड़वाना चाह रहे थे। फैजाबाद सर्किट हाउस में नेता जी ठहरें हुए थे। भीड़ अधिक होने के कारण मैं बाहर खड़ा था जब नेता जी निकल कर गाड़ी में बैठने वाले थे कि उन्होंने मुझे देखा फिर बुलाया और पूछा कि जिसको टिकट दिया जाएगा उसको जितवावोंगे मैंने कहा जरूर, तो मेरी पीठ थपथपा कर सम्मान दिया। ऐसे थे मुलायम सिंह यादव जो अदने से अदने कार्यकर्ता का सार्वजनिक रूप से सम्मान करते थे।

मुलायम ने दिया था विश्वविद्यालय का राममनोहर लोहिया नाम

अवध विवि के पुरातन छात्र सभा परिषद के अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि अयोध्या का डॉ.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की स्थापना तो कांग्रेस शासन में हुई थी। पहले इसका नाम सिर्फ अवध विश्वविद्यालय था। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने विश्वविद्यालय का नाम डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय कर दिया था।

नाम में संशोधन होने के बाद हलचलें बढ़ गई थीं। वर्ष 1993-94 की बात है मैंने नेता जी से कहा था कि अवध शब्द के बिना विश्वविद्यालय की परिकल्पना सार्थक नहीं होती है। इसके बाद उन्होंने मेरा सुझाव माना और विश्वविद्यालय के नाम में पुन: संशोधन कर दिया। तभी से विश्वविद्यालय का नाम डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय पड़ गया। नेता जी अपने एक-एक कार्यकतार्ओं का न सिर्फ ध्यान देते थे बल्कि उनकी बातों पर भी गौर करते थे। राजनीति में मुलायम सिंह यादव का अब न होना देश को बहुत खलेगा। यह कमी पूरा होना आज के दौर में बहुत आसान नहीं है।

एक रुपये के 25 हजार सिक्कों से तौले गए थे मुलायम

अवध क्षेत्र में सियासी जमीन तैयार करने की कवायद में जुटे मुलायम सिंह यादव को रुदौली कस्बे में सिक्कों से तौला गया था। बात अब से लगभग साढ़े तीन दशक पूर्व 1986 के अक्टूबर माह की है। तब मुलायम सिंह यादव लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष थे और रुदौली कस्बा पड़ोसी जनपद बाराबंकी का हिस्सा हुआ करता था।

अंग्रेजी हुकुमत के दौरान एमएलसी रहे तालुकदार चौधरी मो.अली के पोते चौधरी शहरयार इस ऐतिहासिक वाकये को याद कर बताते हैं कि उनके पिता चौधरी सईद मुस्तफा ने मुलायम सिंह यादव के स्वागत में उनको सिक्कों से तोलने की योजना बनाई थी और इसके लिए एक-एक रुपए के कुल 30 हजार सिक्के एकत्र किए थे। मुलायम जी को तोलने में कुल 25 हजार सिक्के ही लगे थे लेकिन पिता ने पूरे 30 हजार रुपए के सिक्के पार्टी के सहयोग में मुलायम जी को सौंप दिया था। इसके बाद पिता रुदौली नगर पालिका के प्रथम चेयरमैन बने और फिर 1989 में मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

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