बरेली: अक्षर विहार नाले का पानी आवास विकास कालोनी में भरा
बरेली, अमृत विचार। अफसर, व्यापारी, उद्यमियों की पॉश कालोनी सिविल लाइंस, आवास विकास में घरों में पहली बार पानी भरा तो लोगों को भी लगने लगा है स्मार्ट सिटी में करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया गया है। अक्षर विहार नाले का पानी आवास विकास में भर गया। दुखी मन से यहां के लोगों ने कहा …
बरेली, अमृत विचार। अफसर, व्यापारी, उद्यमियों की पॉश कालोनी सिविल लाइंस, आवास विकास में घरों में पहली बार पानी भरा तो लोगों को भी लगने लगा है स्मार्ट सिटी में करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया गया है। अक्षर विहार नाले का पानी आवास विकास में भर गया।
दुखी मन से यहां के लोगों ने कहा कि सिविल लाइंस में घरों में कभी पानी नहीं भरा, लेकिन दो दिन की बारिश ने यह दिन भी दिखा दिया कि यहां के लोग सुनियोजित कालोनी में नहीं रहकर किसी अविकसित अवैध कालोनी में रह रहे हैं। यहां के जनप्रतिनिधि गर्व से कहते हैं कि पांच साल में बहुत काम हुआ है।
जनप्रतिनिधि का दावा बारिश ने खोल दिया है कि किस तरह का विकास कार्य कराया गया है। उससे जनता को सुविधा नहीं असुविधा होने वाली है। यह असुविधा आगे भी होने वाली है। जो भी नया जनप्रतिनिधि आएगा वह यही कहेगा पिछले लोगों ने काम गुणवत्तापूर्ण नहीं कराया।
पार्षद राजेश अग्रवाल बताते हैं कि स्मार्ट सिटी में पुराने चौड़े नाले तोड़कर उन्हें पतला कर दिया गया। जहां जहां नाले पतले किए गए, वहां जलभराव हुआ है। सेल्सटैक्स के दफ्तर में कभी पानी नहीं भरा लेकिन इस बार वहां भी जलभराव है। अक्षर विहार को पिकनिक स्पाट बनाने के लिए यहां के नाले का पानी नकटिया नदी में जा नहीं रहा, वही पानी बैक होकर घरों में भर गया। आईजी आवास और कार्यालय के सामने नाला और सड़क एक होकर चलने लगे। तुलसी पार्क के पास तक पानी आ गया। आवास विकास कालोनी की गलियों में पानी पहुंच गया।
सिविल लाइंस आवास विकास निवासी आरपी आर्या बताते हैं कि अक्षर विहार नाले का पानी नकटिया नदी में नहीं जाकर कालोनी में भर रहा है। उनके घर के अंदर भी पानी आ गया। उनके ड्राइंग रूम तक पानी भरा रहा। उसे बेटे बहू ने मिलकर बाल्टियों से निकाला। क्या किसी शहर की पॉश कालोनी में लोग बाल्टियों से पानी निकालते देखे गए। कालोनी के नालों को साफ नहीं कराया गया। स्मार्ट सिटी में क्या इसी तरह घरों में भरे पानी को बाल्टियों से निकाला जाता है।
सेवानिवृत कस्टम आफिसर प्रशांत अग्रवाल बताते हैं कि शनिवार को जब वह बाहर से लौटे तो घर में पानी भरा पाया। गांधी उद्यान से अक्षर विहार तक नाले को जोड़ा नहीं गया। यह स्मार्ट सिटी नहीं गटर सिटी है। हर जगह सीवर का पानी सड़क पर बह रहा है। यहां भी कालोनी के सामने तीन लेयर की सड़क के बजाय ठेकेदार दो लेयर डालकर चला गया। एड्रेसला भवन का नाला ही जाम है। स्मार्ट सिटी के नाम पर केवल रंगरोगन किया जा रहा।
मंजीत मारवाह बताते हैं कि एसएसपी आवास के बगल से कालोनी में प्रवेश करने पर भी जलभराव से होकर गुजरना पड़ा। नाले चोक हैं। सफाई नहीं हुई है। नालों का ढलान ठीक नहीं है तो पानी की निकासी कैसे होगी। कालोनीवालों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। स्मार्ट सिटी केवल नाम की है। दीवारों पर रंग रोगन और आधुनिक पोल लगाने से शहर स्मार्ट नहीं होता।
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