पीलीभीत: बंदी का इलाज करने के नाम पर ठगी, कॉल कर ट्रांसफर कराए तीन हजार रुपये
पीलीभीत, अमृत विचार। एक बार फिर जागरूकता की कमी के चलते ठगों ने अधिवक्ता को अपना शिकार बना लिया। साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले ठगों ने इस बार अधिवक्ता को फंसाने के लिए जेल में बंद मुवक्किल का सहारा लिया। अधिवक्ता को कॉल कर सूचना दी कि उनका मुवक्किल बीमार है, उसे खून की …
पीलीभीत, अमृत विचार। एक बार फिर जागरूकता की कमी के चलते ठगों ने अधिवक्ता को अपना शिकार बना लिया। साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले ठगों ने इस बार अधिवक्ता को फंसाने के लिए जेल में बंद मुवक्किल का सहारा लिया। अधिवक्ता को कॉल कर सूचना दी कि उनका मुवक्किल बीमार है, उसे खून की जरूरत है।
जिसके लिए उनसे 3420 रुपये ट्रांसफर करने का कहा। इस पर अधिवक्ता ने यूपीआई के जरिए उन्हें रुपये ट्रांसफर कर दिए, लेकिन जब उन्होंने जेल अधीक्षक से जानकारी की तो उन्हें अपने साथ ठगी का एहसास हुआ। इस मामले में अधिवक्ता ने एसपी के समक्ष पेश होकर मामले में कार्रवाई की मांग की है।
जिला जजी में वकालत कर रहे अधिवक्ता अंशुल गौरव सिंह ने एसपी को दिए गए शिकायती पत्र में बताया कि गुरुवार देर शाम उनके मोबाइल पर एक नए नंबर से कॉल आई। बातचीत के दौरान कॉलर ने खुद को जिला कारागार में बंदी रक्षक बताया। उसने अपनी बातों में फंसाने के लिए अधिवक्ता से कहा कि उनका एक बंदी जिला कारागार में धोखाधड़ी के मामले में बंद है।
वह जेल में फिसल कर गिर गया है। इस वजह से उसका पैर फ्रैक्चर हो गया है। साथ ही सिर पर गंभीर चोट भी आई है। उसने अधिवक्ता से बंदी के लिए खून का इंतजाम करने की बात कही। जिला कारागार के अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। मगर, उसे ब्लड की जरूरत है। जो आपको खरीदकर देना पड़ेगा या फिर 3420 रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा।
अधिवक्ता ठग की बातों में फंस गया और बिना पड़ताल किए ही उसे अपने यूपीआई से 3420 रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब कुछ देर बाद उन्होंने जेल अधीक्षक संजय कुमार से बातचीत की तो पता चला कि बंदी ठीक है। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इस पर उन्हें अपने साथ ठगी का एहसास हुआ। इस पर अधिवक्ता ने एसपी दिनेश कुमार पी से मुलाकात कर इस प्रकरण में कार्रवाई करने की मांग की।
अधिवक्ता से ठगी की शिकायत मिली है। मामले की साइबर सेल से जांच कराई जा रही है। जालसाजी करने वाले आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी—दिनेश कुमार पी, एसपी।
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