कानपुर: मां-बाप चिल्लाते रहे …साहब जिंदा है मेरा बेटा, ये प्यार है या अंधविश्वास!

कानपुर, अमृत विचार। इसे अंधविश्वास कहा जाए या फिर माता पिता और घर के अन्य बड़ों का उसके प्रति प्रेम, जब एसीपी कल्याणुपर और डिप्टी सीएमओ की टीम विमलेश के घर पहुंची तो परिजनों ने शव को ले जाने से इनकार दिया। अधिकारी समझाते रहे, लेकिन घरवाले माने नहीं। पिता राम आतौर और मां रामदुलारी …
कानपुर, अमृत विचार। इसे अंधविश्वास कहा जाए या फिर माता पिता और घर के अन्य बड़ों का उसके प्रति प्रेम, जब एसीपी कल्याणुपर और डिप्टी सीएमओ की टीम विमलेश के घर पहुंची तो परिजनों ने शव को ले जाने से इनकार दिया। अधिकारी समझाते रहे, लेकिन घरवाले माने नहीं। पिता राम आतौर और मां रामदुलारी बस यही कहते रहे कि साहब बेटा जिंदा है…साहब बेटा जिंदा है। हाथ जोड़कर आगे खड़े हो गए। बुजुर्ग माता पिता की बातें सुनकर एक बार आस पड़ोस के लोग भी भावुक हो गए। डिप्टी सीएमओ डॉ. ओपी गौतम ने परिजनों को समझाया कि विमलेश को बेहतर इलाज के लिए ले जाया जा रहा है। पुलिस की सुरक्षा के बीच शव वाहन से विमलेश की बॉडी को हैलट अस्पताल की इमरजेंसी लाया गया। यहां ईएमओ डॉ. सुबोध यादव और मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने शव को देखा। राम आतौर, रामदुलारी और अन्य परिजन भी हैलट अस्पताल आ गए। डॉक्टरों ने ईसीजी और अन्य जांच कराकर विमलेश के मृत होने की पुष्टि की। सीएमओ के निर्देशन में शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया, लेकिन जब घरवालों ने पोस्टमार्टम से इन्कार किया तो शाम को ही इलेक्ट्रिक शवदाहगृह से अंतिम संस्कार कर दिया।
ऑफिस गई थी पत्नी
पुलिस और डॉक्टरों की टीम जिस समय विमलेश गौतम का शव लेने के लिए घर गई थी, उस दौरान उनकी पत्नी मिताली दीक्षित ऑफिस गई हुईं थी। उनको सूचना दी गई, जिसके कुछ देर बाद वह घर आ गईं। पुलिस के अधिकारियों से उनसे जानकारी करनी चाही तो उन्होंने टाल दिया। डिप्टी सीएमओ के मुताबिक मिताली ने बस यही कहा कि विमलेश के संबंध में माता पिता से बात कीजिए।
डॉक्टर को नहीं जाने दिया
सीएमओ के मुताबिक आयकर विभाग के जोनल आफिसर के पत्र के बाद अर्बन पीएचसी के डॉक्टर को जांच के लिए विमलेश के घर भेजा गया था। वह घर पहुंचे तो परिजनों ने उन्हें जांच करने नहीं दिया। बस यही कहा कि वह ठीक हैं, उनका इलाज चल रहा है। किसी तरह डॉक्टर ने जांच कर उनके मृत होने की रिपोर्ट दी। रिपोर्ट के बाद टीम तैयार की गई, जिसमें मजिस्ट्रेट भी शामिल रहे। किसी तरह समझाकर शव लाया गया।
ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाते थे
आयकर अधिकारी के शव को घर में छुपाने की खबर जैसे ही कृष्णापुरी मोहल्ले में फैली लोगों में काना-फूंसी शुरू हो गई। लोग विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि आखिर कैसे कोई 17 महीने से शव के साथ रह रहा था। कुछ पड़ोसियों ने कहा हम लोगों को लगता था कि विमलेश जिंदा हैं और कोमा में हैं। घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाए जाते थे। इसलिए कभी उन्हें उनकी मौत का आभास ही नहीं हुआ। घर के पास रहने वाले जहीर ने बताया कि ये परिवार किसी से मतलब नहीं रखता था। इसलिए ज्यादा कुछ लोगों को नहीं पता है। ये सुनने में आया था वो कई दिनों से कोमा में चल रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों में यह भी चर्चा रही कि इतने महीनों से घर में शव रखा रहा, लेकिन किसी को बदबू क्यों नहीं आई, अजय मिश्रा ने कहा कि जरूर घर वालों ने केमिकल का उपयोग किया होगा।
हैलट अस्पताल के डॉक्टर हैरान
हैलट अस्पताल में शव पहुंचते ही डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड ब्वाय और नर्स भी हैरान हो गए। सभी को जब पता चला कि घरवाले 17 दिनों तक शव घर में ही रखे हुए हैं तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। कई तीमारदारों ने भी शव को देखने का प्रयास किया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें हटाया।
जांच की तैयारी में पुलिस
पुलिस अधिकारी पूरी घटना की जांच कराने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि अंधविश्वास या किस कारण से आखिर शव को घर में रखा गया। विभाग और डॉक्टरों को क्यों गलत जानकारी दी गई। शव को सुरक्षित रखने के लिए रसायन या फिर किस लेप का उपयोग किया गया, इस सबकी जांच कराई जाएगी। देर शाम कमिश्नरेट पुलिस की ओर से वॉट्सएप ग्रुप में इस संबंध में सूचना भी प्रेषित की गई है।
कार्डिक रेस्पिरेट्री सिंड्रोम से हुई मौत
डिप्टी सीएमओ ने बताया कि विमलेश की मौत सडेन कार्डिक रेस्पिरेट्री सिंड्रोम की वजह से हुई है। वह अप्रैल में तबियत खराब होने की वजह से घर आ गया था। घरवालों ने पहले लखनऊ में इलाज कराया, फिर बिरहाना रोड पर स्थित मोती हॉस्पिटल में 19 अप्रैल 2021 को भर्ती कराया गया। 22 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई। इसका डेट सार्किफिकेट भी बना है।
यह भी पढ़ें:-कानपुर: 17 महीने से मृत पति के शव के साथ घर में रह रही थी पत्नी, सच्चाई जान रह जाएंगे हैरान