इतने ख़ामोश भी रहा न करो
By Amrit Vichar
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इतने ख़ामोश भी रहा न करो ग़म जुदाई में यूँ किया न करो ख़्वाब होते हैं देखने के लिए उन में जा कर मगर रहा न करो कुछ न होगा गिला भी करने से ज़ालिमों से गिला किया न करो उन से निकलें हिकायतें शायद हर्फ़ लिख कर मिटा दिया न करो अपने रुत्बे का …
इतने ख़ामोश भी रहा न करो
ग़म जुदाई में यूँ किया न करो
ख़्वाब होते हैं देखने के लिए
उन में जा कर मगर रहा न करो
कुछ न होगा गिला भी करने से
ज़ालिमों से गिला किया न करो
उन से निकलें हिकायतें शायद
हर्फ़ लिख कर मिटा दिया न करो
अपने रुत्बे का कुछ लिहाज़ ‘मुनीर’
यार सब को बना लिया न करो