भारत में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत: रिपोर्ट
नई दिल्ली। भारत में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अगले पांच साल के दौरान कम से कम 10 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत होगी। एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई जिसमें यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में रोजगार के 50 हजार नए अवसर पैदा किये जा सकते हैं। …
नई दिल्ली। भारत में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अगले पांच साल के दौरान कम से कम 10 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत होगी। एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई जिसमें यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में रोजगार के 50 हजार नए अवसर पैदा किये जा सकते हैं। विश्व बैंक की सहायता से पर्यावरण, निरंतरता और प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय मंच (आई-फॉरेस्ट) ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि सभी हितधारकों- शहरों, राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों, निजी क्षेत्र, एनजीओ और मीडिया की क्षमता विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम बनाने की जरूरत है ताकि वायु प्रदूषण की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
आईफॉरेस्ट के सीईओ और रिपोर्ट के लेखकों में से एक चंद्र भूषण ने कहा, “हमारी रिपोर्ट में दिखाया गया है कि हमें वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान कम से कम दस लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत होगी। इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में हजारों नए रोजगार के अवसर पैदा हो सकेंगे जिससे वायु प्रदूषण कारक तत्वों के नियंत्रण की योजना, निगरानी और उन्हें कम करने में मदद मिलेगी।”
उन्होंने कहा कि देश के पर्यावरण क्षेत्र पर इस तरह की यह पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट में कहा गया कि देशभर में कम से कम 2.8 लाख ऐसे संगठन और उद्योग हैं जिन्हें वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए कर्मियों की जरूरत है। रिपोर्ट में ऐसी 42 तरह की नौकरियों की पहचान की गई है जो देश में वायु गुणवत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी हैं।
इनमें धूल को नियंत्रित करने वाले नगर निकाय कर्मचारियों से लेकर कचरा प्रबंधन करने वाले और वायु गुणवत्ता प्रारूप बनाने वाले तथा पूर्वानुमान करने वाले विशेषज्ञ तक शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि देश में वायु प्रदूषण के प्रबंधन के लिए कुल 22 लाख नौकरियों की जरूरत है और इनमें से लगभग 16 लाख पहले ही निकल चुकी हैं।
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