यूपीसीडा भर्ती घोटाला: डीएम का प्रतिनिधि नहीं फिर भी भर्तियों के लिए साक्षात्कार

यूपीसीडा भर्ती घोटाला: डीएम का प्रतिनिधि नहीं फिर भी भर्तियों के लिए साक्षात्कार

कानपुर। उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में 2008-2009 में बैकलॉग के रिक्त पदों पर भर्तियों में जमकर खेल हुआ। यूं कहें दाल में नमक काला नहीं था बल्कि पूरी दाल ही काली थी। साक्षात्कार के लिए बनी चयन समिति में डीएम का प्रतिनिधि होना अनिवार्य था, लेकिन किसी भी कमेटी में उसे रखा ही नहीं …

कानपुर। उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में 2008-2009 में बैकलॉग के रिक्त पदों पर भर्तियों में जमकर खेल हुआ। यूं कहें दाल में नमक काला नहीं था बल्कि पूरी दाल ही काली थी। साक्षात्कार के लिए बनी चयन समिति में डीएम का प्रतिनिधि होना अनिवार्य था, लेकिन किसी भी कमेटी में उसे रखा ही नहीं गया।

यहां तक कि उप प्रबंधक सामान्य के पद पर चयनित उमेश चौहान नाम के किसी अभ्यर्थी का नाम नहीं था, लेकिन चयन हुआ और उसने नौकरी भी की, लेकिन बाद में वह त्यागपत्र देकर चला गया। उमेश चौहान तत्कालीन बसपा सरकार के एक कैबिनेट मंत्री का बेटा था।

2008-2009 में प्राधिकरण नहीं बना था। तब इसका नाम उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम था। निगम में चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के पास असीम शक्तियां होती हैं। इन शक्तियों का ही दुरुपयोग तत्कालीन प्रबंध निदेशक एसके वर्मा, संयुक्त प्रबंध निदेशक तपेंद्र प्रसाद और चेयरमैन एवं बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा ने की और मनमाने तरीके से लोगों को भर्ती किया गया।

आयुक्त एवं निदेशक हथकरघा रहे रणवीर प्रसाद द्वारा पूर्व में की गई जांच में यह पाया गया है कि प्रबंधक सामान्य के पद पर तैनात किए गए कैलाश नाथ श्रीवास्तव के पास सिर्फ आठ साल साल नौ माह का अनुभव था। इसलिए उनको अनुभव का एक अंक मिलना चाहिए था पर दिया गया 10 अंक। साक्षात्कार देने वालों की सूची में नाम न होने के बाद भी उमेश चौहान के चयन को रणवीर प्रसाद ने आपराधिक कृत्य करार दिया है।

रिक्त पदों के सापेक्ष अधिक भर्ती किए जाने को भी जांच अधिकारी ने गलत माना है और कहा कि नियमों की अनदेखी के कारण ही अयोग्य लोगों का चयन हुआ। इससे अनावश्यक वित्तीय भार निगम पर पड़ा। ऐसे पद जिन पर चयन के लिए अनुभव का होना जरूरी था। उसके अभ्यर्थियों द्वारा लगाए गए अनुभव प्रमाण पत्रों का सत्यापन जरूरी था, लेकिन नियुक्त पत्र जारी कर दिया गया और प्रमाण पत्रों की जांच नहीं कराई गई।

चहेतों को नियुक्ति देने के लिए रचा षडयंत्र

जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्टमें कहा है कि रिक्त पदों से अधिक पदों पर भर्तियों को करने के लिए बकायदा षडयंत्र रचा गया। इस षडयंत्र के लिए तत्कालीन एमडी और जेएमडी के साथ ही ओएसडी भी दोषी हैं।

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