महत्वपूर्ण रक्षा डील

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे पर भारत और अमेरिका ने कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के बीच तीन अरब डॉलर की रक्षा डील कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस रक्षा डील के साथ ही विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र और महाशक्ति अमेरिका ने यह साफ कर दिया है कि उसे …

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे पर भारत और अमेरिका ने कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के बीच तीन अरब डॉलर की रक्षा डील कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस रक्षा डील के साथ ही विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र और महाशक्ति अमेरिका ने यह साफ कर दिया है कि उसे भारत के हितों की चिंता है। रक्षा डील के तहत देश की रक्षा शक्ति में काफी इजाफा होगा। जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अहमदाबाद में कहा था कि इस्लामिक आतंकवाद से दोनों देश लड़ रहे हैं, लिहाजा यह रक्षा डील आतंकवाद से रक्षा और उसके खात्मे के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होगी।

सर्वविदित है कि भारत को सुरक्षा मोर्चे पर सबसे ज्यादा खतरा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से ही है। बॉर्डर पर हर दिन पाकिस्तानी सेना की तरफ से संघर्ष विराम का उल्लंघन और आतंकियों को बॉर्डर पार कराना पाक सेना का मुख्य उद्देश्य रहता है। जाहिर है पाकिस्तान और पाक प्रायोजित आतंकवाद से लड़ने के लिए सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में भी यह रक्षा डील काफी अहम साबित होगी, ऐसी उम्मीद है। रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अमेरिका से अपाचे और 24 एमएच -60 रोमियो हेलीकॉप्टर समेत उन्नत अमेरिकी सैन्य उपकरणों की खरीद भारत के साथ हुए समझौतों और रक्षा सहयोग में विस्तार की ओर बढ़ाया गया कदम है।

मानसिक स्वास्थ्य, चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा व भारत और अमेरिका के बीच ऑयल कॉर्पोरेशन को लेकर एमओयू साइन किए गए हैं जो कि ट्रंप के भारत दौरे के आशानुरूप परिणाम हैं। इस मामले का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ट्रंप ने भारत की धरती से पाकिस्तान का नाम लेकर इस्लामिक आतंकवाद की बात कह पाकिस्तान को अगर संदेश देने की कोशिश की है तो दूसरी ओर भारत के साथ रक्षा समझौते को अंतिम रूप दिया। यह दोनों ही बातें कहीं न कहीं अमेरिका का भारत के प्रति आतंकवाद की लड़ाई में साथ होने की तरफ इशारा करती हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने भारत दौरे को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि भारत के लिए उनके मन में अब और जगह बढ़ गई है। जाहिर है अहमदाबाद में जैसा अभूतपूर्व उनका स्वागत हुआ, वह मेजबानी की शानदार परंपरा के वाहक हमारे देश के लिए भी गर्व का विषय है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का मुखिया इस बात से अभिभूत था। जाहिर है यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक अलग सोच और कार्यशैली का भी नतीजा है जिससे कि दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूती मिली है।