विश्व फोटोग्राफी दिवस आज, क्या है इस बार की थीम, जानें
हल्द्वानी। प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। विश्व फोटोग्राफी दिवस फोटोग्राफी की कला, शिल्प, विज्ञान और इतिहास का एक वार्षिक, विश्वव्यापी उत्सव है। यह सबसे महत्वपूर्ण कला के रूपों में से एक है। फोटोग्राफी किसी की भावनाओं और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का एक साधन है। हेनरिक इबसेना की …
हल्द्वानी। प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। विश्व फोटोग्राफी दिवस फोटोग्राफी की कला, शिल्प, विज्ञान और इतिहास का एक वार्षिक, विश्वव्यापी उत्सव है। यह सबसे महत्वपूर्ण कला के रूपों में से एक है। फोटोग्राफी किसी की भावनाओं और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का एक साधन है। हेनरिक इबसेना की एक प्रसिद्ध कहावत है जिसमें उन्होंने कहा है कि, ‘एक तस्वीर एक हज़ार शब्दों के बराबर होती है कभी-कभी तस्वीरें, शब्दों की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से भावना व्यक्त करती हैं।
कई लोगों के लिए, फोटोग्राफी उनका शौक होने के साथ-साथ जुनून भी है। 19वीं सदी की शुरुआत से फोटोग्राफी उद्योग प्रगति कर रहा है और मील का पत्थर साबित हुआ है। कैमरा तकनीकि में प्रगति के कारण आज डिजिटल फोटोग्राफी ने फोटोग्राफी के सभी पुराने संस्करणों को बदल दिया है।
इतिहासकारों के मुताबिक 9 जनवरी, 1839 को दुनिया की सबसे पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया का आविष्कार हुआ था। इस प्रक्रिया का नाम डॉगोरोटाइप था, जिसका अविष्कार ‘जोसेफ नाइसफोर’ और ‘लुइस डॉगेर’ नाम के 2 वैज्ञानिकों ने किया था। डॉगोरोटाइप टेक्निक फोटोग्राफी की पहली प्रक्रिया थी, इस टेक्निक के आविष्कार का ऐलान फ्रांस सरकार ने 19 अगस्त, 1839 में किया। इसी की याद में विश्व फोटोग्राफी दिवस हर साल 19 अगस्त को मनाया जाता है। आधिकारिक तौर पर इस दिन की शुरुआत 2010 में हुई थी।
ऑस्ट्रेलिया के एक फोटोग्राफर ने अपने साथी फोटोग्राफरों के साथ मिलकर इस दिन इकट्ठा होने और दुनियाभर में इसका प्रचार प्रसार करने का फैसला किया। अपने साथी फोटोग्राफरों के साथ मिलकर उनकी तस्वीरें ऑनलाइन गैलरी के जरिए लोगों के सामने पेश कीं। इस ऑनलाइन गैलरी को लोगों ने खूब पसंद किया इसके बाद से फोटोग्राफरों का डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए अपनी कला का प्रदर्शन करने का यह सिलसिला शुरू हो गया जो आज भी ज़ारी है।
इससे पहले लोग हाथ से ड्राइंग या पेंटिंग के माध्यम से दृश्यों/छवियों का बनाते थें। इस प्रक्रिया में तांबे की एक शीट पर एक अत्यधिक विस्तृत छवि बनाई जाती थीं। फिर उस चद्दर पर चांदी के पतले कोट का लेप लगाया जानें लगा। इस प्रक्रिया में नेगेटिव का इस्तेमाल नहीं किया गया था। कैमरे से स्थायी छवि प्राप्त करने का यह पहला तरीका था। डॉगोरोटाइप के विकास एक तत्काल सफलता हासिल की, क्योकि यह अपेक्षाकृत सस्ती और सटीक विधि थी।
फोटोग्राफी उद्योग द्वारा प्राप्त ज़बरदस्त विकास का जश्न मनाने के लिए विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। फोटोग्राफी एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से कहानियों, विचारों, स्थान, अनुभव और क्षणों को एक स्मृति के रूप में कैद और संरक्षित किया जाता है। इतिहास और अतीत से जुड़े अन्य सभी तथ्यों के बारे में जानने का एक साधन फोटोग्राफी के माध्यम से है। छणिक पल कैप्चर हो जाते हैं और सदियों तक अमर रहते हैं।
विश्व फोटोग्राफी दिवस युवा पीढ़ी को फोटोग्राफी को अपने करियर विकल्प के रूप में चुनने के लिए प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है। फोटोग्राफी प्रतिभा और रचनात्मकता को सामने लाती है जो कभी-कभी छिप जाती है और लोगों को इसके बारे में पता नहीं चलता है। ऐसे कई विषय हैं जिनके तहत कोई खुद को प्रशिक्षित कर सकता है जैसे कि – वन्यजीव फोटोग्राफी, प्रकृति फोटोग्राफी आदि। विश्व फोटोग्राफी दिवस 2022 को आपकी सर्वश्रेष्ठ तस्वीर को कैप्चर करके मनाया जा सकता है और हैशटैग #WorldPhotographyDay का उपयोग करके इसे इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया जा सकता है।
विश्व फोटोग्राफी दिवस 2022 का थीम/विषय “लेंस के माध्यम से महामारी का लॉकडाउन (Pandemic Lockdown through the lens)” है। थीम इस बात पर प्रकाश डालता है कि हम कैमरे (लेंस) के माध्यम से महामारी के चलते हुए लॉकडाउन को कैसे देखते हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन लगाया गया था और उस अवधि में कई लोगों ने फोटोग्राफी के शानदार कौशल को सीखा।