लखनऊ: लोहिया संस्थान में नहीं दूर हो पा रही व्हीलचेयर व स्ट्रेचर की समस्या, मरीजों को घंटों करना पड़ता है इंतजार

लखनऊ: लोहिया संस्थान में नहीं दूर हो पा रही व्हीलचेयर व स्ट्रेचर की समस्या, मरीजों को घंटों करना पड़ता है इंतजार

लखनऊ। अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले गंभीर मरीजों की सबसे पहली जरूरत व्हीलचेयर व स्ट्रेचर होती है,क्योंकि इसके बिना गंभीर मरीजों को अस्पताल में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किलों भरा होता है। लेकिन राजधानी के सरकारी अस्पतालों में समय पर व्हीलचेयर या स्ट्रेचर मिल जाये यह कम ही बार देखा …

लखनऊ। अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले गंभीर मरीजों की सबसे पहली जरूरत व्हीलचेयर व स्ट्रेचर होती है,क्योंकि इसके बिना गंभीर मरीजों को अस्पताल में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किलों भरा होता है।

लेकिन राजधानी के सरकारी अस्पतालों में समय पर व्हीलचेयर या स्ट्रेचर मिल जाये यह कम ही बार देखा जाता है।
जबकि प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक कई बार अस्पतालों में व्हीलचेयर व स्ट्रेचर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दे चुके हैं।

लेकिन उसके बाद भी अव्यवस्था जस की तस बनी हुयी है। सबसे बुरी स्थिति राजधानी के डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की है। लोहिया संस्थान की ओपीडी में इलाज के लिए आये मरीजों को व्हीलचेयर के लिए न सिर्फ घंटों इंतजार करना पड़ता है,बल्कि जदोजहद भी करनी पड़ती है।

शहजहांपुर से आये युवक शिवम ने बताया कि उनका मरीज किडनी की बीमारी से जूझ रहा है,डेढ़ घंटे से व्हीलचेयर के इंतजार में हैं ,लेकिन मिल नहीं पाई है। व्हीलचेयर के लिए पहचान पत्र मांग रहे हैं,लेकिन आधारकार्ड मान्य नहीं है,यहां पर पेनकार्ड अथवा ड्राईविंग लाइसेंस हीं मान्य है।

यहां ओपोडी के बाहर व्हीलचेयर व स्ट्रेचर पहचान पत्र जमा करने के बाद मिलने की व्यवस्था संस्थान प्रशासन ने बनाई है,इसके लिए एक कर्मचारी को भी तैनात किया गया है। कर्मचारी जरूरतमंद मरीजों के परिजनों का पहचान पत्र जमा करा कर उसके बदले में व्हीलचेयर व स्ट्रेचर देता है। लेकिन समस्या असल में यहीं से शुरू होती है।

इन्हीं समस्याओं को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियों में व्हीलचेयर को लेकर कर्मचारी व परिजनों के बीच बहस होती है,बहस इस बात की जो लोग व्हीलचेयर लेने पहुंच थे,उनके पास पहचान पत्र के नाम पर आधार कार्ड था, लेकिन वहां मौजूद कर्मचारी आधार कार्ड लेने से मना कर रहा था,कर्मचारी यह तर्क दे रहा था कि आधार कार्ड लोग देकर व्हीलचेयर लेकर चले जाते हैं और वापस करने नहीं आते,ऐसे में आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में नहीं लिया जा सकता।

आधार कार्ड के साथ 1000 रूपये जमा करने पर ही व्हीलचेयर मिल सकता है। ऐसे में कई मरीजों को व्हीलचेयर नहीं मिल पा रही थी। दूर दराज के क्षेत्रों से आये मरीजों में बहुत से मरीजों के पास आधार कार्ड के सिवाय कोई दूसरा पहचान पत्र था ही नहीं । तो मजबूरी में रूपये देना उनके पास एक मात्र रास्ता था।

यह तो रही परीजनों व कर्मचारियों के बीच हुई बातचीत का अंश। लेकिन यह समस्या लोहिया संस्थान में इलाज कराने आये कई गंभीर मरीजों को रोजाना झेलनी पड़ती है,कई मरीज जमीन पर लेटे व्हीलचेयर या फिर स्ट्रेचर का इंतजार करते हुये देखे जा सकते हैं।

जहां एक तरफ मरीजों की अपनी समस्या है, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों व संस्थान प्रशासन की भी अपनी समस्या है। व्हीलचेयर ले जाने वाले लोग यदि समय पर व्हीलचेयर वापस नहीं करेंगे,तो दूसरों को व्हीलचेयर मिलेगी कैसे। आरोप तो यहां तक है कि कई बार व्हीलचेयर गायब भी हो चुके हैं। ऐसे में मरीजों को कैसे इस समस्या से निजात मिलेगी, फिलहाल यह बताने वाला कोई नहीं है।

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