नैनीताल: बलियानाला ट्रीटमेंट की डीपीआर में होगा संसोधन

नैनीताल, अमृत विचार। बलियानाला पर हो रहे भूस्खलन के ट्रीटमेंट कार्यों को लेकर अभी और समय लग सकता है। उत्तराखंड शासन के हाई पावर कमेटी सदस्यों ने ट्रीटमेंट कार्यों को लेकर तैयार की गई डीपीआर में संशोधन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पुणे की कंपनी की ओर से बनाई गई डीपीआर में व्यवहारिक दृष्टिकोण के …
नैनीताल, अमृत विचार। बलियानाला पर हो रहे भूस्खलन के ट्रीटमेंट कार्यों को लेकर अभी और समय लग सकता है। उत्तराखंड शासन के हाई पावर कमेटी सदस्यों ने ट्रीटमेंट कार्यों को लेकर तैयार की गई डीपीआर में संशोधन के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने पुणे की कंपनी की ओर से बनाई गई डीपीआर में व्यवहारिक दृष्टिकोण के साथ कार्ययोजना बनाने को कहा है। साथ ही बलियानाला पहाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन को रोकने के लिए कौन से प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे इन मामलों में स्पष्टीकरण मांगा है।
मालूम हो कि डेढ़ सौ वर्षों से बलियानाला क्षेत्र में भूस्खलन हो रहा है। इसे रोकने के लिए अंग्रेजों के समय भी कई ट्रीटमेंट कार्य किए गए। बीते वर्ष शासन स्तर पर गठित हाई पावर कमेटी ने पहाड़ी की रोकथाम को डीपीआर बनाने और ट्रीटमेंट करने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को दी थी।
विभाग की ओर से इसमें पुणे की एक कंपनी को टेंडर देकर पहाड़ी की रोकथाम को लेकर अध्ययन करने का जिम्मा दिया गया था और उनसे डीपीआर तैयार कराई गयी। कंपनी ने डीपीआर में पहाड़ी का ऊपर से 45 डिग्री के कोण में कटान कर उसका ढलान कम करने का ट्रीटमेंट सुझाया गया है। जिस पर कमेटी विशेषज्ञों ने निर्देश दिए हैं कि डीपीआर में ऐसा ट्रीटमेंट शामिल किया जाए, जिससे व्यवहारिक दिक्कत ना आए। साथ ही पौधरोपण के मामले में भी स्पष्ट जानकारी दी जाए कि कौन से पौधे लगाए जा सकें, जिससे भू स्खलन को रोका जाए।
मालूम हो कि इससे पहले भी 4 वर्ष पहले जापान की कंपनी (जायका) को भूस्खलन के ट्रीटमेंट कार्य के अध्ययन का जिम्मा दिया गया था, लेकिन कोविड काल के दौरान जापान से वैज्ञानिक यहां नहीं आ सके और कार्य बीच में ही अधूरा रह गया था। इसके बाद वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन को पुणे की कंपनी ने पूरा किया।
डीपीआर को शासन को भेजने से पहले हाई पावर कमेटी के समक्ष रखा गया था। जिसमें कई बिन्दुओं पर कमेटी ने सुधार करने के निर्देश दिए हैं। संशोधित डीपीआर को लेकर 1 अगस्त को बैठक होनी है, जिसमें सुझाए गए सुधारों के बाद आगे के लिए निर्णय लिया जाएगा।
-अनिल कुमार वर्मा, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग