हरिद्वार में कांवड़ मेला कल से, कुम्भ से ज़्यादा श्रद्धालु भरेंगे गंगाजल

मयंक पाण्डेय, अमृत विचार, हरिद्वार। भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। कांवड़ के दौरान सिर्फ 12 दिनों के भीतर जितनी भीड़ भगवान भोले की ससुराल और धर्म नगरी हरिद्वार में जुटती है, उतनी भीड़ कुंभ के दौरान चार महीने में भी देखने को नहीं मिलती है। इतने …
मयंक पाण्डेय, अमृत विचार, हरिद्वार। भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। कांवड़ के दौरान सिर्फ 12 दिनों के भीतर जितनी भीड़ भगवान भोले की ससुराल और धर्म नगरी हरिद्वार में जुटती है, उतनी भीड़ कुंभ के दौरान चार महीने में भी देखने को नहीं मिलती है।
इतने कम समय में सबसे बड़ी यात्राओं में शुमार कांवड़ यात्रा में करोड़ों कांवड़िये व श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं। कांवड़िये यहां से गंगाजल भर अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं। यह पूरी यात्रा सिर्फ भगवान भोलेनाथ के भरोसे ही संपन्न होती है। कहने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस लगाई जाती है, लेकिन इन कांवड़ियों के आगे पुलिसकर्मी भी नतमस्तक नजर आते हैं।
आगामी 14 जुलाई से कुंभ मेले से अधिक भीड़ वाला कांवड़ मेला शुरू होने जा रहा है। कुंभ का मेला तो चार तीर्थों पर होता है, लेकिन कांवड़ का ये मेला सिर्फ शिव की ससुराल माया, दक्षपुरी में महज 12 दिनों में संपन्न हो जाता है।
ज्योतिषी डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि पहली कांवड़ भगवान परशुराम ने अपने गुरु को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार से उठाई थी। उसके बाद दुर्वासा ऋषि, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, राजा भरथरी, राजा विक्रमादित्य, राजा सत्यकेतु, राजा सोमेश्वर, राजा हर्षवर्धन आदि ने श्रावण मास में गंगा जल हरिद्वार से भरकर शिव का अभिषेक किया था।
इस यात्रा का लाभ तभी मिलता है, जब ब्रह्मचर्य का पालन हो और पूरी यात्रा में मौन हो। क्रोध करने से तुरंत इस यात्रा का फल समाप्त हो जाता है। इस बार ये कांवड़ यात्रा सूर्य के नक्षत्र बिस्कुंभ नामक योग से प्रारंभ होगी। इस पूरे श्रावण मास में 4 सोमवार होंगे। 25 जुलाई को सोम प्रदोष होगा। 26 जुलाई को शिवरात्रि को गदली गंगा का जल भगवान आशुतोष पर चढ़ेगा।
डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी बताते हैं कि दुर्वासा ऋषि ने कहा था कि जो भी गदली गंगा का जल हरिद्वार ब्रह्मकुंड से लाकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक मौन व्रत के जरिये करता है, उसके घर पर सात पीढ़ियां लक्ष्मी से वंचित नहीं होती हैं। ये श्रावण मास 11-12 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन समाप्त होगा।