कश्मीर में आतंकवाद

कश्मीर में आतंकवाद

कश्मीर में परिसीमन और चुनाव की सुगबुगाहट है। इस बीच कुछ दिनों से निशाना बनाकर आतंकी हमले किए जा रहे हैं। कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिशों में खलल डालने के इरादे से पाकिस्तान के इशारे पर आतंकवादी नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम सभी को निशाना बनाया जा रहा है। वहीं कश्मीरी …

कश्मीर में परिसीमन और चुनाव की सुगबुगाहट है। इस बीच कुछ दिनों से निशाना बनाकर आतंकी हमले किए जा रहे हैं। कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिशों में खलल डालने के इरादे से पाकिस्तान के इशारे पर आतंकवादी नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम सभी को निशाना बनाया जा रहा है। वहीं कश्मीरी पंडित भी आतंकियों के निशाने पर हैं। इससे पहले प्रवासी मजदूरों को लक्ष्य बना कर मारा गया।

आतंकवादी जिस तरह चुन-चुन कर लोगों को मार रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि वे एक बार फिर बेलगाम हो गए हैं। पहले उनका उद्देश्य लोगों में दहशत फैलाकर सरकार को चुनौती देना होता था, मगर अब वे सीधे-सीधे तालिबानी रास्ते पर उतरते दिख रहे हैं। गुरुवार को बडगाम जिले में एक टीवी अभिनेत्री की हत्या इसका ताजा उदाहरण है। इसके एक दिन पहले श्रीनगर में आतंकवादियों ने पुलिस कांस्टेबल सैफुल्ला कादरी को उनकी ड्यूटी के बाद उनके घर के बाहर गोली मार दी। इसके अलावा सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें होने की भी खबरें आ रही हैं।

गुरुवार को ही सुरक्षाबलों ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में एक मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों को मार गिराया। कश्मीर में लगातार मिल रहे अमेरिकी हथियार भी खतरे की घंटी हैं। चूंकि अफगानिस्तान से हथियारों की तस्करी पाकिस्तान के जरिए होती है। रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान से पाकिस्तान में फल और सब्जियां ले जाने वाले ट्रकों में भरकर इन हथियारों की तस्करी की जाती है। ये हथियार पाक-अफगान बॉर्डर पर स्थित खैबर पख्तूनख्वा के रास्ते उत्तरी वजीरिस्तान और बाजौर होते हुए बलूचिस्तान पहुंचाए जाते हैं।

इसके बाद यहां से ये हथियार पाक अधिकृत कश्मीर होते हुए भारत की सीमा में दाखिल होते हैं। हालांकि इस नए खतरे से निपटने के लिए केंद्र सरकार कश्मीर पुलिस को नए और अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध करा रही है। घाटी में आतंकवादियों को शरण देने और वित्तीय मदद पहुंचाने वालों पर नकेल कसी जा चुकी है। ऐसे में आतंकी स्थानीय लोगों में दहशत फैला कर अपनी मौजूदगी दर्शाने की कोशिश में हैं।

इन वारदातों से आतंकियों की खीझ और हताशा साफ जाहिर होती है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा रखने के लिए रणनीति बदलता रहता है। इसलिए नागरिकों की आकांक्षा के अनुरूप वहां जल्दी चुनाव करा कर लोकतांत्रिक गतिविधियां शुरू करानी होंगी और व्यापक जन साझेदारी के माध्यम से आतंकवाद को काबू करने के प्रयास तेज करने होंगे।

 

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