कानपुर: हाईटेक बताकर खरीदी गईं 50 ऑटोमेटिक पोल्यूशन सेंसिग मशीनें हुईं कबाड़, मचा हड़कंप

कानपुर: हाईटेक बताकर खरीदी गईं 50 ऑटोमेटिक पोल्यूशन सेंसिग मशीनें हुईं कबाड़, मचा हड़कंप

कानपुर। कहते हैं चोर कितना भी शातिर हो आखिर उसकी चोरी पकड़ी ही जाती है। ऐसा ही कुछ स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत ऑटोमेटिक पॉल्यूशन सेंसिंग मशीनों की खरीद में हुआ। स्मार्ट सिटी के तहत खरीदी गईं 50 पॉल्यूशन सेंसिंग मशीनों को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने निष्प्रयोज्य बता दिया। मामला तब खुला जब सेंट्रल …

कानपुर। कहते हैं चोर कितना भी शातिर हो आखिर उसकी चोरी पकड़ी ही जाती है। ऐसा ही कुछ स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत ऑटोमेटिक पॉल्यूशन सेंसिंग मशीनों की खरीद में हुआ। स्मार्ट सिटी के तहत खरीदी गईं 50 पॉल्यूशन सेंसिंग मशीनों को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने निष्प्रयोज्य बता दिया। मामला तब खुला जब सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड ने स्टेट बोर्ड को पत्र जारी करके स्मार्ट सिटी के तहत खरीदी गई मशीनों की रीडिंग पोर्टल पर अपडेट करने से भी मना कर दिया।

इस धांधली को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर मिश्र ने मंगलवार को संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाई है। बैठक में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को भी बुलाया गया है। दरअसल इन मशीनों को हाईटेक बताकर नगर निगम को बेचा गया था। ये सभी 50 आटोमेटिक सेंसिंग मशीनें सेंसर पर आधारित हैं। फिलहाल यह तकनीकी भारत में नहीं है। विदेशों में भी इसकी मान्यता कहां-कहां है यह जानकारी भी पॉल्यूशन बोर्ड के मांगने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराई गई। यही वजह रही कि सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड ने इन मशीनों का डाटा पोर्टल पर फीड करने से मना कर दिया।

मशीन की जानकारी नहीं तो डाटा कैसे लें

बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल माथुर का कहना है कि बोर्ड द्वारा शहर में चार मशीनें लगाई गई हैं। यह मशीनें पूरे कमरे का सेटअप लेती हैं। नगर निगम की मशीन एक डिब्बे के बराबर स्थान लेती है। फिलहाल इसका डाटा नगर निगम से ईमेल द्वारा भेज दिया जाता है, लेकिन हम उसे अपने पोर्टल पर अपडेट नहीं कर रहे हैं। जब तक मशीनों की अथेंटिसिटी नहीं हो जाती तब यह निष्प्रयोज्य है।

दोगुनी लगा दीं स्ट्रीट लाइटें

स्मार्ट सिटी के तहत केवल पॉल्यूशन सेंसिंग मशीनों की खरीद में ही खेल नहीं किया गया। शहर में ट्रैफिक लाइटें लगाने के नाम भी जमकर बिल बढ़ाए गए। केडीए द्वारा तैयार किए गए इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम में शहर के 67 मुख्य चौराहे कवर किए जाने थे। इसे स्मार्ट सिटी में 148 चौराहों तक पहुंचा दिया गया। लाइटें भी दीवार की ओर मुंह करके या फिर होर्डिंग के पीछे लगा दी गई। एक ही चौराहे पर आठ ट्रैफिक लगाकर लाइटें लगाकर बजट तीन गुना तक पहुंचा दिया गया।

डॉ. राजशेखर, मंडलायुक्त कानपुर ने बताया कि मामले का पता चला है। अधिकारियों को तलब किया गया है। उनसे साक्ष्य मांगे जाएंगे।

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