Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के छठे दिन होती है कात्यायनी माता की पूजा, जानें पूजन विधि
नवरात्रि वर्ष में चार बार होती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन। नवरात्रि से वातावरण के तमस का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है। माता रानी के सभी भक्त इन 9 दिनों को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं। नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा …
नवरात्रि वर्ष में चार बार होती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन। नवरात्रि से वातावरण के तमस का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है। माता रानी के सभी भक्त इन 9 दिनों को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं। नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। वहीं छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कहा जाता है की मां को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए। बता दें की ‘मां कात्यायनी’ अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेमावती व ईश्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमे भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है।
कात्यायनी माता की कैसे करें पूजा
मां कात्यायनी की पूजा गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके करनी चाहिए। इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। माता कात्यायनी को शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है। मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं। बता दें की जो लोग बहुत समय से अपने लिये या अपने बच्चों के लिये शादी का रिश्ता ढूंढ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं, तो आज मां कात्यायनी की उपासना करके आपको लाभ जरूर उठाना चाहिए। पूजा के दौरान माता के इस मन्त्र का जप करें। मन्त्र है-
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
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