अयोध्या: अल्लाह की बरकत और रहमतों का महीना रमजान शुरू, चांद का दीदार कर मांगी दुआएं

अयोध्या: अल्लाह की बरकत और रहमतों का महीना रमजान शुरू, चांद का दीदार कर मांगी दुआएं

अयोध्या। अल्लाह की रहमतों और बरकतों का महीना पाक रमजान रविवार से शुरू हो गया है। शनिवार देर शाम माह-ए-रमजान मुबारक के चांद का दीदार कर रोजेदारों ने बारगाहे इलाही में दुआएं की। माहे रमजान का चांद दिखते ही रोजेदारों के चेहरों पर रौनक आ गई है। चौक-बाजार में माह रमजान का चांद दिखते ही …

अयोध्या। अल्लाह की रहमतों और बरकतों का महीना पाक रमजान रविवार से शुरू हो गया है। शनिवार देर शाम माह-ए-रमजान मुबारक के चांद का दीदार कर रोजेदारों ने बारगाहे इलाही में दुआएं की। माहे रमजान का चांद दिखते ही रोजेदारों के चेहरों पर रौनक आ गई है। चौक-बाजार में माह रमजान का चांद दिखते ही शनिवार रात मुस्लिम समुदाय के लोग खरीदारी के लिए जुट गए।

बता दें कि महीने भर की अवधि के दौरान जो रोजा या उपवास रखते हैं उनके लिए रमजान का महीना 2 मई को समाप्त होगा। रोजेदार सहरी करने के लिए भोर में उठते हैं, और शाम को वे इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। यह महीना मुसलमानों के लिए बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। रमजान इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना है। इसे माह ए रमजान भी कहा जाता है।

रमजान के महीने में रोजे व्रत रखने, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है। मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के दौरान उपवास या रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है।सिर्फ भूख-प्यास नहीं है रोजा : उलेमाओं का कहना है कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। यानि न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा कहें। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे। रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है।

हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं। चांद दिखने के बाद ही मस्जिदों में नमाजियों का हुजूम तरावीह के लिए उमड़ पड़ा। रमजान के चांद के साथ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों की बाजारों में एकाएक रौनक भी बढ़ गई है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों की बाजारों में सिवई खजूर व तरह तरह के इफ्तार व सेहरी के सामानों की बिक्री खूब बढ़ गई है।

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