इटावा: संकटग्रस्त गौरैया का सबसे बड़ा संरक्षक बना जिला

इटावा: संकटग्रस्त गौरैया का सबसे बड़ा संरक्षक बना जिला

इटावा। रसायनिक खाद के बेतहाशा इस्तेमाल और मोबाइल फोन रेडियशन समेत तमाम कारणों से देश में विलुप्त होती जा रही गौरैया चिड़िया के संरक्षण के लिए जिले के लोग आगे आए हैं जिसका प्रमाण है कि यहां के घर-घर में गौरैया की चहचहाट ने पर्यावरणविदों और पंक्षी प्रेमियों के चेहरे पर मुस्कराहट ला दी है। …

इटावा। रसायनिक खाद के बेतहाशा इस्तेमाल और मोबाइल फोन रेडियशन समेत तमाम कारणों से देश में विलुप्त होती जा रही गौरैया चिड़िया के संरक्षण के लिए जिले के लोग आगे आए हैं जिसका प्रमाण है कि यहां के घर-घर में गौरैया की चहचहाट ने पर्यावरणविदों और पंक्षी प्रेमियों के चेहरे पर मुस्कराहट ला दी है।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय सोसायटी फॉर कंजर्वेशन अॉफ नेचर के महासचिव डॉ.राजीव चौहान ने रविवार को एक सर्वेक्षण रिर्पोट का हवाला देते हुए बताया कि गौरैया के संरक्षण की दिशा में चलाए जा रहे अभियान के क्रम में इटावा के लोगों ने अपने अपने घरों में कृत्रिम घोसले लगा रखे हैं। उन घोसलों में गौरैया चिड़िया अंडे देती है जिसके बाद बच्चे बाहर आते है। इन छोटे-छोटे बच्चों को देखकर लोग ना केवल खुश होते हैं बल्कि जाने अंजाने में संरक्षक की भूमिका भी अदा करते हैं।

छोटे-छोटे बच्चों के चहचाहट लोगों को खुश भी कर रही है

ऐसा नहीं है कि केवल एक या दो घरों मे ही गौरैया चिड़िया के बच्चे पल रहे हो। यहां करीब 200 ऐसे घर सामने आये है जिनमें गौरैया चिड़िया ने अपने घोसले बना रखे है। छोटे-छोटे बच्चों के चहचाहट लोगों को खुश भी कर रही है। आगे आने वाला समय गौरैया चिड़िया के प्रजनन काल का है तो ज्यादातर घरों में यह प्रक्रिया देखी जाने लगी है।

इटावा के आवास विकास कालौनी मे रहने वाली माधवी बताती है कि आज से चार और पांच साल पहले उनको गौरैया चिडिया के संरक्षण के लिए घोसला मिला था जिसके बाद उनके घर पर गौरैया आना शुरू हो गई और उन्होने अंडे भी दिये और उनके बच्चे होने लगे। ऐसा लगातार चल रहा है।

फ्रैंडस कालौनी इलाके के एडवोकेट विक्रम सिंह भी जिनके घर पर पिछले पांच सालो से गौरैया चिडिया अपना खुद वा खुद ना केवल घोसला बनाती है बल्कि अंडे देती है जिनके छोटे छोटे बच्चे गौरैया चिडिया की संख्या मे इजाफा करते है।

घर गौरैया चिड़िया ने लॉकडाउन के भी दरम्यान दो अंडे दिए

विक्रम के घर गौरैया चिड़िया ने लॉकडाउन के भी दरम्यान दो अंडे दिए। बच्चों की सुरमयी चहचहाट से गदगद विक्रम ने कहा कि वो बेहद खुश इस बात से बने हुए है कि उनका परिवार गौरैया संरक्षण की सही भूमिका अदा कर रहा है। अखिलेश सरकार में गौरैया के संरक्षण की दिशा में चलाए गए प्रदेश व्यापी अभियान का यह असर हुआ कि लोगो को यह समझ आ गया कि गौरैया गायब हो रही है। उसको बचाने की दिशा में घोसले आदि लगाने से भी काफी कुछ बदलाव हुआ है। आज उन्ही घोसले मे दो सैकडा के आसपास घरो मे गौरैया अंडे देने के बाद बच्चे दे रही है।

गौरैया की लगातार संख्या घटने के कारण साल 2010 से गौरैया दिवस मनाया जा रहा है । 2012 मे उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार बनने के बाद गौरैया को बचाने की दिशा में वन विभाग की ओर से कई कार्यक्रमो का आयोजन किया गया जिससे गौरैया को बचाने की दिशा मे लोग सक्रिय हुए है। कई परिवारो ने इस बात की पुष्टि हुई है कि उनके घरो मे पिछले चार एक साल से गौरैया चिड़िया ना केवल घोसला बनती है बल्कि प्रजनन कर बच्चो के उड़ने लायक होने पर इंतजार भी करते है ।

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