किसी एक मजहब की जुबान नहीं है उर्दू: प्रोफेसर समी

किसी एक मजहब की जुबान नहीं है उर्दू: प्रोफेसर समी

हरदोई। रायल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी ने प्रोफेसर शमीम हनफी की अदबी ख़िदमात की तहकीकी मुताला पर चर्चा करने के एक सेमिनार आयोजित किया। सण्डीला कस्बे के एमआर पब्लिक स्कूल में हुए सेमिनार के मुख्य अतिथि असिस्टेंट प्रोफेसर डा.अब्दुल समी ने उर्दू भाषा पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि उर्दू किसी एक मज़हब …

हरदोई। रायल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी ने प्रोफेसर शमीम हनफी की अदबी ख़िदमात की तहकीकी मुताला पर चर्चा करने के एक सेमिनार आयोजित किया।

सण्डीला कस्बे के एमआर पब्लिक स्कूल में हुए सेमिनार के मुख्य अतिथि असिस्टेंट प्रोफेसर डा.अब्दुल समी ने उर्दू भाषा पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि उर्दू किसी एक मज़हब की ज़ुबान नही है। वह हर मज़हब की ज़ुबान है। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद नई दिल्ली से वित्त पोषित इस कार्यक्रम में शाहजहांपुर से आए उर्दू साहित्यकार इशरत सगीर, रिसर्च स्कॉलर लखनऊ के अब्दुल कुद्दूस व डा.कलीम ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

इस दौरान उर्दू साहित्यकारों ने प्रोफेसर हनफी के बारे में उर्दू के लिए उनकी खिदमत पर खुल कर चर्चा की। कार्यक्रम में समाजसेविका आरिफा खातून, मोहम्मद काशिफ, आदित्य प्रताप सिंह, राकेश वर्मा व महेंद्र मौजूद रहे। सोसायटी के प्रबंधक अशफाक खान ने आए हुए साहित्यकारों के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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