अब छात्र बिना डरे रैगिंग की करें शिकायत, UGC ने जारी किया टोल फ्री नंबर

नई दिल्ली। कोरोना काल के बाद कैंपस पहुंचने वाले छात्रों के रैगिंग से बचाने के लिए यूजीसी अब और ज्यादा सक्रिय होने जा रहा है। दरअसल यूजीसी का शिकायत प्रकोष्ठ तीसरी आंख की तरह काम करेगा जिस पर 24 घंटे सातों दिन पीड़ित विद्यार्थी शिकायत कर सकेंगे। शिकायत के बाद आयोग संबंधित कॉलेज प्रशासन को …
नई दिल्ली। कोरोना काल के बाद कैंपस पहुंचने वाले छात्रों के रैगिंग से बचाने के लिए यूजीसी अब और ज्यादा सक्रिय होने जा रहा है। दरअसल यूजीसी का शिकायत प्रकोष्ठ तीसरी आंख की तरह काम करेगा जिस पर 24 घंटे सातों दिन पीड़ित विद्यार्थी शिकायत कर सकेंगे। शिकायत के बाद आयोग संबंधित कॉलेज प्रशासन को सतर्क करेगा और कमेटी के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वहीं तयशुदा समय में कॉलेज प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि पीड़ित विद्यार्थी को सही समाधान मिले।
बता दें हाल में ही यूजीसी के संज्ञान में आया था कि कोविड के बाद कैंपस खुलते ही उत्तराखंड के हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में सीनियर्स ने एमबीबीएस के पहले वर्ष के 29 छात्रों के साथ रैगिंग की। आयोग का कहना है कि इसे बेहद गंभीर मामला माना गया है और कॉलेज प्रिंसिपल से पूरी घटना की विस्तार से रिपोर्ट मांगी गई है। इसके अलावा पीड़ित छात्रों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम से लेकर मानसिक परेशानी से निजात के लिए काउंसलिंग करवाने का भी निर्देश दिए गए हैं।
बता दें कोई भी छात्र किसी भी समय यूजीसी के टोल फ्री नंबर 1800-180-5522 पर फोन करके सीधे भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। शिकायत मिलते ही आयोग की टीम संबंधित कॉलेज प्रशासन को उसकी जानकारी देगी। कॉलेज को उसी समय कमेटी गठित करके मामले की जांच शुरू करनी होगी, ताकि जल्द से जल्द पीड़ित को न्याय और दोषियों को सजा मिल सके। यदि कोई कॉलेज या संस्थान रैगिंग मामले में समय से जांच नहीं करता है और रैगिंग को रोकने में नाकाम रहता है, तो आयोग के पास उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।
बता दें आयोग ने मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी, आर्किटेक्चर समेत अन्य सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अक्तूबर 2021 में रैगिंग रोधी शपथ-पत्र दाखिल करने को लेकर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत सभी छात्रों को दाखिले के समय उन्हें लिखकर देना होगा कि वो किसी भी रैगिंग मामले में शामिल नहीं होंगे। इसमें उनके माता-पिता या अभिभावक के भी हस्ताक्षर होंगे कि उनका बेटा या बेटी रैगिंग से दूर रहेंगे।
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