मुरादाबाद : सियासत के क्षत्रपों के सामने किला बचाने की चुनौती

मुरादाबाद : सियासत के क्षत्रपों के सामने किला बचाने की चुनौती

आशुतोष मिश्र/अमृत विचार। चुनावी जंग में समाजवादी और भाजपाई क्षत्रपों के सामने किला बचाने की चुनौती होगी। चुनाव चिह्न आवंटन के साथ ही जिले की राजनीतिक तस्वीर पर चर्चा शुरू हो गई है। कोरोना काल में चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की धड़कन बढ़ी हुई है। वर्ष 2017 के चुनाव में सपा ने यहां अपनी ताकत …

आशुतोष मिश्र/अमृत विचार। चुनावी जंग में समाजवादी और भाजपाई क्षत्रपों के सामने किला बचाने की चुनौती होगी। चुनाव चिह्न आवंटन के साथ ही जिले की राजनीतिक तस्वीर पर चर्चा शुरू हो गई है। कोरोना काल में चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की धड़कन बढ़ी हुई है। वर्ष 2017 के चुनाव में सपा ने यहां अपनी ताकत दिखाई थी। सभी छह विधान सभा क्षेत्रों में सपा के चार विधायक जीते थे, जबकि सीधी टक्कर में सपा उम्मीदवारों से भिड़ंत में भाजपा के उम्मीदवार कम मतों के अंतर से कामयाब हुए थे। अबकी भाजपा ने दोनों विधायकों पर फिर दांव लगाया है, जबकि सपा के दो विधायक टिकट कटने से पार्टी छोड़ चुके हैं। वैसे शहर सीट पर भाजपा का दावा हर बार मजबूत रहा है। देहात में सपा वर्षों से काबिज है।

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बिलारी में समाजवादी पार्टी का कब्जा बरकरार है। कुंदरकी में सपा-भाजपा के मध्य जंग होती रही है। कुंदरकी में इस बार सभी दलों ने अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। बिलारी विधानसभा क्षेत्र में स्थापना काल से सपा की साइकिल दौड़ रही है। सपा विधायक मोहम्मद फहीम तीसरी बार मैदान में हैं। लेकिन, उन्हें सजातीय मतों के बिखरने का डर सता रहा है। ठाकुरद्वारा सीट पर भाजपा के सर्वेश कुमार सिंह लंबे समय से काबिज रहे हैं। वह वर्ष 1991 में यहां कमल खिलाने में सफल हुए। 2007 के चुनाव में यहां बसपा के विजय यादव जीते थे। उपचुनाव में साल 2015 में सपा काबिल हो गई। यहां नवाब जान खान फिर पार्टी के उम्मीदवार हैं। भाजपा ने उच्च शिक्षित इंजीनियर अजय प्रताप सिंह पर दांव खेला है।

कांठ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने विधायक राजेश कुमार सिंह पर भरोसा जताया है। लेकिन, समाजवादियों ने पार्टी के असरदार कमाल अख्तर को भेज दिया है। वह अमरोहा जिले से आते हैं, सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। समीक्षक मानते हैं कि जिले में सभी सीटों पर रोचक मुकाबले के आसार हैं। यहां सभी सीटों पर कांटे की टक्कर होने की संभावना है। किसका किला सुरक्षित है, यह जानने के लिए हमें 10 मार्च का इंतजार करना पड़ेगा।

सपा के दोनों विधायक पार्टी से कर चुके हैं बगावत
टिकट कटने से नाराज मुरादाबाद देहात क्षेत्र के सपा विधायक हाजी इकराम कुरैशी और कुंदरकी के एमएलए हाजी रिजवान ने पाला बदल लिया है। दोनों ने दमखम के साथ जनता की अदालत में अर्जी दे दी है। इकराम ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है और रिजवान ने बसपा की हाथी की सवारी कर ली है। दोनों समाजवादी सरकार में असरदार रहे हैं। जब प्रदेश में सपा की सरकार थी तो इकराम पार्टी के जिलाध्यक्ष और रिजवान दर्जा राज्यमंत्री रहे। रिजवान लगातार दो बार से विधायक होने के नाते चर्चा में रहे। रिजवान को सपा ने वर्ष1996 में कुंदरकी क्षेत्र से मौका दिया था। पहली बार के चुनाव में उन्हें विधायक चुन लिया गया। अब उन्होंने बसपा के घोषित उम्मीदवार चांद बाबू का टिकट हथिया लिया है। इससे नाराज चांद बाबू ने सपा का दामन थाम लिया है। लोगों में रिजवान की पकड़ मजबूत मानी जाती है। चांद बाबू को कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है। वर्ष 2017 में देहात क्षेत्र के सपा उम्मीदवार हाजी इकराम ने मात्र महीने भर की मेहनत में शानदार जीत दर्ज की थी। बिरादरी में इनकी मजबूत पकड़ है, जबकि सपा ने हाजी नासिर पर दांव लगाया है। बसपा उम्मीदवार के रूप में नासिर 2012 के चुनाव में हार गए थे।

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