लखनऊ: नई एक्स-रे तकनीक से मिनटों में पता चलेगा कोरोना है या नहीं, हुई ये रिसर्च…

लखनऊ। कोरोना को रोकने के लिए वैज्ञानिकों की तरफ से लगातार नए-नए शोध किए जा रहे हैं। देश-विदेश के वैज्ञानिकों की कोशिश है कि कोविड से जुड़े कारणों से लेकर टेस्टिंग रिपोर्ट जल्द से जल्द आ सके। जिससे मरीजों को बचाने में आसानी हो। वहीं वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक एक्स-रे से कोविड रिपोर्ट पर …
लखनऊ। कोरोना को रोकने के लिए वैज्ञानिकों की तरफ से लगातार नए-नए शोध किए जा रहे हैं। देश-विदेश के वैज्ञानिकों की कोशिश है कि कोविड से जुड़े कारणों से लेकर टेस्टिंग रिपोर्ट जल्द से जल्द आ सके। जिससे मरीजों को बचाने में आसानी हो।
वहीं वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक एक्स-रे से कोविड रिपोर्ट पर रिसर्च शुरु किया है जिसके जरिए जांच के बाद मिनटों में पता लगाया जा सकेगा कि आप पॉजिटिव हैं या निगेटिव। यह ऐसी टेक्नोलॉजी है जो बिना जांच के सिर्फ एक्स-रे से कोरोना की फैक्ट रिपोर्ट दे देगा। रैपिड एंटीजन या आरटीपीसीआर टेस्ट की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि यह टेक्निक सफल रही तो सबसे बड़ा लाभ उन शहरों को पहुंचेगा जहां आरटीपीसीआर के जरिए जांच की कमी है।
अब एक्स-रे से होगा कोरोना टेस्ट
बता दें कि कोरोना जांच करने वाली इस नई एक्से-रे तकनीक को यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों व प्रोफेसर नईम रमजान, गेब्रियल ओकोलो और डॉ. स्टामोस कैट्सिगियनिस ने बनाया है। तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित है। तकनीक में कोरोना संक्रमित मरीजों, स्वास्थ व्यक्तियों और वायरल निमोनिया से पीड़ित लोगों के करीब तीन हजार एक्स-रे इमेज का डेटाबेस होता है। एआई पर आधारित एक्स-रे से इन सभी इमेज के स्कैन (बारीकी से जांच) की तुलना की जाती है।
इसके बाद एक ‘डीप कन्वेन्शनल न्यूरल नेटवर्क’ नाम की एआई तकनीक, एल्गोरिदम के जरिए विजुअल इमेजरी का विश्लेषण करके ये पता करती है कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं। रिसर्चर्स ने दावा किया है कि कोरोना संक्रमण का पता लगाने में 98 फीसदी रिपोर्ट सही पाई गई है।
सीटीस्कैन से बहुत कम मिल पाती थी कोरोना की जानकारी
डॉ. मनीष शुक्ला ने बताया कि एक्स-रे व सीटीस्कैन से कोविड का पता पहले से ही लगाया जा रहा है लेकिन इसमें बहुत कम प्रतिशत में कोरोना की जानकारी मिल पाती थी। गर्भवती महिलाओं के एक्स-रे व सीटीस्कैन नही किया जा सकता, इसलिए इससे उनकी कोरोना जांच नहीं की जा सकती। नई तकनीक के एक्स-रे मशीन का प्रयोग यहां भी किया जाए तो कोरोना से जीत हासिल करने में मदद मिलेगी। हांलाकि नई तकनीकि पर रिसर्च अभी विदेशों में ही चल रहा है। यह कितना सफल और कारगर साबित होगी भारत में आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
इस तरह के रिसर्च भविष्य में कोरोना से लड़ने में कारगर साबित हो सकते हैं, लेकिन विदेशों में अभी इस काम चल रहा है। यहां पर इस तकनीक का प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
स्वास्थ्य महानिदेशक वेदव्रत सिंह
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