Mobile Phone Radiation: मोबाइल की लत न बन जाए कहीं स्वास्थ्य के लिए आफत

Mobile Phone Radiation: मोबाइल की लत न बन जाए कहीं स्वास्थ्य के लिए आफत

मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। इसके बिना हम एक मिनट भी गुजारना पसंद नहीं करते।जिंदगी की जरूरत बन चुके मोबाइल को ज्यादा प्रयोग करने के कई नुकसान भी हैं। चिकित्सकों की मानें तो मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक होता है। इसका अधिक समय तक प्रयोग करने से …

मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। इसके बिना हम एक मिनट भी गुजारना पसंद नहीं करते।जिंदगी की जरूरत बन चुके मोबाइल को ज्यादा प्रयोग करने के कई नुकसान भी हैं। चिकित्सकों की मानें तो मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक होता है। इसका अधिक समय तक प्रयोग करने से सिर दर्द, नींद में गड़बड़ी, याददाश्त में कमजोरी, चिड़चिड़ापन, हाथ और गर्दन में दर्द तथा नजर कमजोर होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल दिमाग की गतिविधियों को भी प्रभावित करता है। इस से निकलने वाला विकिरण आपके स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। यह आपको कई तरह की बीमारियों का शि‍कार बना सकता है।

इसको लेकर अमृत विचार की टीम ने मुरादाबाद हिंदू कालेज की मनोविज्ञान संकाय में तैनात एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मीनू मेहरोत्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि आज के दौर में बच्चों व युवाओं का रुझान फोन की तरफ अधिक हो गया है। ऐसे में उनमें मानसिक व शारीरिक समस्या उत्पन्न होने लगी है। क्योंकि कोरोना काल में पढ़ाई व खेल कूद के लिए बाहर नहीं निकल पा रहे है। उन्हें पढ़ाई के लिए भी फोन का ही सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में कई बार अधिकांश बच्चे हाथ में मोबाइल आते ही पढ़ाई छोड़ गेम व अन्य चीजों में व्यस्त हो जाते हैं। इस वजह से यह लत उनमें मानसिक तनाव जैसी समस्या का कारण बनती जा रही है।

उन्होंने बताया कि अभिभावकों को बच्चों को पढ़ाई करते समय ही फोन देना चाहिए। इसके साथ ही इसके लिए समय सीमा भी निर्धारित करनी चाहिए। मात्र आधा से एक घंटा ही उन्हें मोबाइल देना उचित रहेगा। इसके लिए टाइम टेबल बना लें। उसके बाद उनसे मोबाइल वापस ले लेना चाहिए। उनके अनुसार बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उन्हें जितना संभव हो सके खेल कूद व पुस्तकों से जोड़ा जाए, ताकि उन का शारीरिक व मानसिक विकास हो सके।

वह बताती हैं कि मोबाइल के उपयोग से बच्चों में आंखों की समस्याएं, बॉडी पॉश्चर की प्रॉब्लम लगातार बढ़ रही हैं। युवाओं को भी अपने शारीरिक व मानसिक योग्यताओं का विकास करने के लिए आवश्यकता से अधिक मोबाइल का उपयोग नहीं करना चाहिए। बहुत जरूरी होने पर ही उपयोग किया जाए।

एक घंटे से अधिक मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. गिरिजेश कैन ने बताया कि वर्तमान समय में बच्चों को मोबाइल पर काम करना विवशता बन गई है। ऐसे में जरूरी है कि इस दौरान वे एक नियमित गैप बीच में लेते रहें। इसके लिए अभिभावकों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ध्यान रहे कि लगातार एक घंटे से अधिक मोबाइल इस्तेमाल नहीं करने दें, क्योंकि इस से निकलने वाला विकिरण बच्चों की आंख के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। क्योंकि कोरोना महामारी में बच्चों ने खेलने की जगह फोन का ज्यादा प्रयोग किया है। लगातार मोबाइल स्क्रीन पर एकटक देखने से आंखों में सूखापन, जलन, पानी निकलने की समस्या होने लगती है। रात में मोबाइल देखने से आंखों में धुंधलापन की शिकायत आने लगती है। धुंधलापन आने से कुछ देर तक आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है। इसके साथ ही बच्चों को विटामिन ए अवश्य खिलाना चाहिए, ताकि उनकी आंखें स्वस्थ रह सकें। बच्चों को मोबाइल का प्रयोग करते समय बीच-बीच में पांच मिनट का रेस्ट लेना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि उनके क्लिनिक पर प्रतिदिन 10 और कभी-कभी इससे भी अधिक केस आ जाते हैं।