बरेली: युवाओं को मंचों के माध्यम से वादे मिले, रोजगार नहीं

बरेली: युवाओं को मंचों के माध्यम से वादे मिले, रोजगार नहीं

ओमेन्द्र सिंह, बरेली, अमृत विचार। बरेली के किसी भी इलाके में चले जाएं, यहां युवाओं की भीड़ नजर आती है। इनमें से अधिकांश युवा अपने घरों से दूर सपने पूरे करने के लिए इस शहर की खाक छान रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसे नजारे बरेली में ही देखने को मिलें। इस तरह की …

ओमेन्द्र सिंह, बरेली, अमृत विचार। बरेली के किसी भी इलाके में चले जाएं, यहां युवाओं की भीड़ नजर आती है। इनमें से अधिकांश युवा अपने घरों से दूर सपने पूरे करने के लिए इस शहर की खाक छान रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसे नजारे बरेली में ही देखने को मिलें। इस तरह की नजारे आपको को शाहजहांपुर, पीलीभीत, बदायूं और लखीमपुर में भी देखने को मिल जाएंगे। तकदीर को संवारने निकले इन बेरोजगार युवाओं को इससे मतलब नहीं है कि वह यहां किस तरह मेहनत करके अपने सपने पूरे करेंगे, हां अपने लक्ष्य पर उनकी नजर जरूर है।

उन्हें चिंता भी यदि असफल हो गए तो मां-बाप को क्या जवाब देंगे। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी हजारों युवा ऐसे हैं, जो अपनी मेहनत के दम पर सफलता की सीढ़ी चढ़ना चाह रहे थे, लेकिन कोरोना काल ने उनसे उनके सपनों को छीन लिया। ऐसे युवाओं को मलाल है कि आखिर उन्हें राजनैतिक मंचों पर ही क्यों याद किया जाता है। मंचों से उतरने के बाद सभी दलों के नेता उनका हित क्यों भूल जाते हैं। आखिर उन्हें वोट क्यों समझा जाता है‌ ?

ऐसे कई सवाल हैं जो अब तक न तो किसी जनप्रतिनिधि के पास हैं और न ही किसी दल के पास। हालांकि योगी सरकार का दावा है कि प्रदेश में चार लाख से अधिक युवाओं को नौकरी दी है। सरकार के इन आंकडों में 59 हजार बैंकिंग सखी, 59 हजार पंचायत सहायक, और 59 हजार से अधिक पंचायतों में नियुक्त महिला सफाई कर्मियों के अलावा शिक्षक, सिपाही, डॉक्टर आदि के पद हैं। इस बात को सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों की बात करें तो यूपी में बेरोजगारी की दर में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है। ये आंकड़े संतोष जनक कहे जा सकते हैं, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ कड़वी है। जैसे टीईटी समेत कई अन्य परीक्षाओं के पेपर लीक होना पारदर्शी व्यवथा पर सवाल खड़े कर रहा है।

कोरोना का में लाखों युवा हो गए बेरोजगार
कोरोना संक्रमण काल में कई फैक्ट्रियों में ताले लग गए। इससे बरेली, बदायूं, लखीमपुर, पीलीभीत और शाहजहांपुर के लाखों युवाओं को बेरोजागर होना पड़ा। गांव आए तो खेती किसानी करने लगे, लेकिन भारी वारिश ने फसल चौपट कर दी। इससे एक तो बेरोजगारी ऊपर से खेती के लिए लिया गया कर्ज बेरोजागर युवाओं को परेशान करने लगा। इससे अधिकांश युवाओं को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा।

पीपर लीक होने पर हुई फजीहत
हकीकत है लेकिन दावों के विपरीत। पिछले दिनों नौकरी के लिए कई परीक्षाएं हुईं। लेकिन उनमें पूछे गए कई सवाल ही गलत थे। ऐसे में परीक्षा देने पहुंचे अभ्यर्थी परेशान हो गए। वहीं भर्ती बोर्ड और अन्य विभागों में अफसरशाही होने के कारण युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाती है। यदि कहीं मिलती है तो चहेतों को या फिर पैठ वाले लोगों को। ऐसे में प्रतिभाओं से उनका हक छीन लिया जाता है। जिससे कई युवाओं में भारी रोष है।

युवाओं को सता रही चिंता
आउट सोर्सिंग में बढ़ रही भर्तियों से युवाओं को चिंता सताने लगी है। बेरोजगार युवा सोच रहे हैं कि कही सरकार नौकरियों को सीमित तो नहीं कर रही है। वहीं संविदा कर्मियों में भी इसको लेकर रोष है। संविदा कर्मियों का कहना है कि उनका शोषण हो रहा है। सरकार को इसका ध्यान देना चाहिए। मानदेय भी समय पर नहीं मिल पाता है। इसके अलावा नवीनीकरण होने पर हजारों कर्मचारियों को एक झटके में बेरोजगार कर दिया जाता है।

देहात में मनरेगा ही बना सहारा
देहात क्षेत्रों में आज भी लाखों युवा शिक्षित होने के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। इनके लिए मनरेगा ही एक सहारा है। जिससे ये अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। हां मनरेगा में यह खास बात है कि उन्हें 15 दिन के अंदर भुगतान दिया जा रहा है। बरेली, बदायूं, लखीमपुर, शाहजहांपुर और पीलीभीत में मनरेगा तीन लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मुहैया करा रहा है।

कौशल विकास मिशन भी रहा अधूरा
कौशल विकास मिशन भी पूरा नहीं हो सका है। प्रशिक्षण लेने के बाद भी युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। कहीं बैंकों का झंझट तो कहीं कमीशन उन्हें रोजगार से वंचित कर रही है। यही वजह है कि युवा अपना घर बार छोड़कर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड आदि प्रांतों में मजदूरी करने को विवश हैं। ऐसा नहीं है कि इस संबंध में लोगों ने बात न की हो, बात की, लेकिन उसका लाभ उन्हें नहीं मिला सका।

बोलते आंकड़े

  • जनपद बरेली
  • कुल पंजीकृत बेरोजगार –71512
  • 2020 में लगे मेले -33
  • चयनित हुए- 8041
  • 2021 में लगे मेले – 23
  • चयनित हुए- 5387

जनपद शाहजहांपुर

  • कुल पंजीकृत बेरोजगार- 88241
  • पुरूष बेरोजगार- 65808
  • महिला बेरोजगार- 22433
  • रोजगार मेले लगे 13
  • चयनित हुए 4745

जनपद बदायूं

  • कुल पंजीकृत बेरोजगार-
  • वर्ष 2020 में पंजीकृत बेरोजगार- 34502
  • चयनित हुए बेरोजगार- 911
  • वर्ष 2021 में पंजीकृत बेरोजगार- 37515
  • चयनित हुए 4045
  • वर्ष 2021-22 में पंजीकृत बेरोजगार- 39315
  • चयनित हुए युवा 1280

लखीमपुर खीरी

  • जिले में शिक्षित बेरोजगार- 72000 पंजीकृत
  • 2021 में रोजगार मेले के माध्यम से चयनित- 1000 युवा बेरोजगार
  • हकीकत में हैं करीब 90000 बेरोजगार

बोले बेरोजगार

भाजपा सरकार बनी थी तो सोचा था कि रोजगार मिलेगा, पर पांच साल गुजर गए रोजगार मिलने का रास्ता साफ नहीं हो सका। मैंने कटिंग-टेलरिंग से आईटीआई कर रखी है, लेकिन कोई काम नहीं मिला। जैसे-तैसे अपने परिवार की गाड़ी खींच रहा है। सरकार कोई भी रोजगार पर काम करें तो बेहतर होगा। सेवा योजना कार्यालय में हमारा पंजीकरण भी है, लेकिन नौकरी मिलने का रास्ता साफ नहीं हो सका। अभी तक की सरकारों ने बेरोजगारी खत्म करने का प्रयास नहीं किया। -अमित मिश्रा, मोहल्ला खिरनी बाग-शाहजहांपुर

इंटर की तक पढ़ाई कर पाया। नौकरी पाने के लिए काफी बार आवेदन किया, लेकिन नौकरी नहीं मिल सकी। नौकरी सिर्फ पॉवर और पैसे वालों को ही मिलती है। हमारे पास न तो पैसा है और न ही पॉवर। ऐसे में नौकरी मिलने का रास्ता साफ नहीं हो सक। कोई भी सरकार हो, बेरोजगार खत्म करने का प्रयास करें। देश में बेरोजगारी बहुत बढ़ी समस्या बनी हुई है, जिस पर काम करना बहुत जरूरी है। -धीरज कश्यप, खिरनी बाग-शाहजहांपुर

कई बार नौकरी के लिए ट्राई किया, लेकिन काम नहीं बना। इधर उधर भटका भी लेकिन हर जगह से हटा दिया गया। कौशल विकास मिशन के तहत रोजगार के लिए आवेदन किया, लेकिन बैंक से कर्ज नहीं मिला। यही वजह है कि अब तक बेरोजगार हूं, हां घर का खर्च निकालने के लिए बिजली का काम कर लेता हूं। सरकार बदायूं में उद्योग लगाए जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। -अंकित साहू – मोहल्ला ब्रह्मपुर बदायूं

सरकारी नौकरी नहीं मिली। आर्थिक स्थिति भी सही नहीं है। रोजगार मेलों में गया, लेकिन पंजीकरण न होने के कारण वहां कोई ध्यान नहीं दिया गया। घर से बाहर जाकर काम नहीं कर सकता, कुछ मजबूरियां हैं। राजनैतिक दल चुनाव में वादे तो करते हैं, लेकिन हकीकत में रोजगार नहीं दिला पा रहे हैं। नेताओं को बेरोजगारी का मुद्दा भी विधानसभा में रखना चाहिए। -शैंकी शेखूपुर- बदायूं

आज के दौर में सबसे अधिक समस्या बेरोजगारी की है। मैं बीफार्मा कर चुका हूं, लेकिन नौकरी अब तक नहीं मिली है। कई जगह भटक चुका हूं। लेकिन सफलता नहीं मिली है। बरेली का युवा आज भी दूसरे शहरों में भाग रहा है। यहां के जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे लोगों को रोजगार दिलाएं। बरेली में नए नए उद्योग लगाए जाएं। ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके। -मोहित यादव, नवादा शेखान बरेली

कई वर्षों से वैकेंसी नहीं आ रही हैं। जिन स्थानों पर वैकेंसी आई भी हैं वहां भर्ती होने से पहले ही कोई न कोई अड़ंगा लग जाता है। टीईटी का पेपर लीक हो गया। सरकार जब पेपर की सुरक्षा नहीं कर सकती है तो क्या कर सकती है। सरकार युवाओं के लिए नए नए रोजगार मुहैया कराने के लिए बरेली में फैक्ट्री आदि लगवाए। तभी युवाओं का हित हो सके। नहीं तो युवा यूं ही भटकते रहेंगे। इस ओर नेताओं को ध्यान देना होगा। वादों से वोट हासिल करके चुप बैठ जाते हैं। -अमन कुमार बक्सरिया मोहल्ला फरीदपुर

बोले विधायक

भाजपा की सरकार ने रिकार्ड रोजगार दिया गया। कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण केंद्र खोले गए, जिसमें हुनर पाकर युवा अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा नये प्लांट मंजूर करके और उद्योगों के विकास के माध्यम से बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए गए। शिक्षकों की भर्तियां भी भाजपा की सरकार में खूब हुईं। इसके अलावा सभी भर्तियों में पारदर्शिता से भ्रष्टाचार खत्म हुआ, जिससे योग्य अभ्यर्थियों को रोजगार मिल सका। – मानवेंद्र सिंह, विधायक-ददरौल, शाहजहांपुर।

भाजपा सरकार में सबसे अधिक लोगों को नौकरियां मिली हैं। सरकार ने पांच वर्ष में करीब छह लाख युवाओं को प्राइवेट और सरकारी सेक्टर में नौकरी दिलाई है। उद्योगों का विकास कराया है, जिससे युवाओं को रोजगार मिल सके। पुलिस, शिक्षक, पंचायत बैक सखी, विद्युत सखी समेत कई अन्य तरह क नौकरियां बेरोजगारों को मिली हैं। हां उद्योग विकसित करने की बात है तो बदायूं में इसके लिए हम प्रयासरत हैं। यदि सरकार बनी तो बदायूं नए उद्योग लगाए जाएंगे। -धर्मेन्द्र शाक्य विधायक शेखूपुर, बदायूं