बरेली: गुरु पर्व पर मिला पीएम का तोहफा, किसानों की दोगुनी हो गईं खुशियां

बरेली: गुरु पर्व पर मिला पीएम का तोहफा, किसानों की दोगुनी हो गईं खुशियां

बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस किए जाने की घोषणा पर किसान संगठनों में खुशी की लहर है। इसको लेकर शुक्रवार को किसानों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर हर्ष व्यक्त किया। गुरु पर्व पर प्रधानमंत्री की इस घोषणा को किसान बेहद सराहनीय बता रहे हैं। उनका कहना है यह कदम …

बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस किए जाने की घोषणा पर किसान संगठनों में खुशी की लहर है। इसको लेकर शुक्रवार को किसानों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर हर्ष व्यक्त किया। गुरु पर्व पर प्रधानमंत्री की इस घोषणा को किसान बेहद सराहनीय बता रहे हैं। उनका कहना है यह कदम दर्शाता है कि किसानों की मांग जायज है। इसे किसी की हार-जीत के बजाय व्यापक परिपेक्ष्य में देखना चाहिए। कहा कि पिछले एक साल से कृषि कानून वापसी की मांग को लेकर किसानों का दिल्ली बार्डर पर आंदोलन हो रहा है।

इस दौरान कई किसानों की जान जा चुकी है। सैकड़ों किसानों पर मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं लेकिन गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर कृषि कानून वापस किए जाने से सफलता मिल गई। कुछ किसानों ने सरकार को नसीहत दी कि उसे अब एमएससी गारंटी का भी कानून लाना चाहिए ताकि किसानों का भला हो सके। जबकि विपक्ष का कहना है कि यह किसान विरोधी कानून अगर पहले ही वापस ले लिए होते तो सैकड़ों की किसानों की जान नहीं जाती।

कृषि कानून वापस लेकर विपक्ष से छिना बड़ा मुद्दा
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक दल सक्रिय हैं। पेट्रोल-डीजल पर महंगाई और तीनों कृषि कानून को लंबे समय से विपक्षी मुद्दा बनाए हुए थे। इस मुद्दे को जोरशोर से भुनाने की बड़ी योजना भी बना ली थी। किसी को भी जरा सी खबर नहीं थी कि पीएम नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संदेश में इतनी बड़ी घोषणा कर देंगे।

इधर, इस घोषणा से भाजपा ने विपक्ष के हमले की धार को कुंद करने का प्रयास तो किया ही इसके साथ ही यह भी माना जा रहा है कि पीएम मोदी के इस कदम से विपक्ष के हाथ से एक और बड़ा मुद्दा छीन लिया है। क्योंकि पिछले दिनों ही केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम करके लोगों को बढ़ी महंगाई से थोड़ी राहत देने का प्रयास किया था।

एमएसपी की कानूनन चाहिए गारंटी
भाकियू जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह का कहना है कि किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत है। एक साल पुराने आंदोलन ने मोदी सरकार का गुरुर तोड़ा। लेकिन जब तक एमएसपी की कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन कानून 2020 के वापसी नहीं देती तब तक आंदोलन चलता रहेगा। किसान किसी भी कीमत पर अपने संघर्ष के मोर्चे से वापस नहीं लौटेंगे।

पूरी नहीं हुई किसानों की मांगे
किसान एकता संघ के प्रदेश प्रभारी डा. रवि नागर ने कृषि कानून वापसी पर प्रधानमंत्री की सरहाना की। इसके साथ ही यह भी कहा कि आंदोलन तभी वापस होगा जब संसद के अंदर यह बिल वापस हो जाएंगे। यह अभी हमारी अधूरी मांगे पूरी हुई है। जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार कानून नहीं बनाती। तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

किसानों की मौत की जिम्मेदार केंद्र सरकार
आरटीआई एंव सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट मुहम्मद ख़ालिद जीलानी ने कहा किसान विरोधी कृषि कानून सरकार को पहले ही वापस ले लेना चाहिए थे। इसे लंबे समय तक लटकाने से पुलिस-प्रशासनिक और सुरक्षा खर्च आदि पर करोड़ों रुपये कर दिए। सैकड़ों मौंतों के लिए केंद्र सरकार ज़िम्मेदार है। सबक लेकर सरकार को पुनर्विचार करना होगा।

हार से घबराकर लिया फैसला
अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के प्रदेश सचिव राजीव शांत ने कहा कि काले कृषि कानून वापस लेने का हम स्वागत करते हैं। लेकिन,जब तक संसद में एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा तब तक आंदोलन चलता रहेगा। पीएम ने नोटबंदी के समय भी बहुत कुछ कहा था, लेकिन किया कुछ नहीं। अब आगामी चुनाव में हार से घबराकर फिर फैसला लेना पड़ा।

किसानों को नहीं पूंजीपतियों को मिलता लाभ
प्रो. हरीश गंगवार ने कहा कृषि कानून वापस होने पर किसानों को बहुत बहुत बधाई। इस बिल में किसानों को कम पूंजीपतियों को काफी लाभ था। किसान पहले दिन से ही सरकार के इन कानूनों के पक्ष में नहीं थे। अखिरकार में तानाशाही हारी और किसानों का आन्दोलन जीता है। सरकार को एमएसपी की गारंटी का कानून लाना चाहिए किसानों को जिस की सख्त जरूरत है।

पहले ही वापस ले लेना चाहिए था कानून
प्रगतिशील किसान विजय चौहान ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हैं। लेकिन सरकार को कृषि कानून को पहले ही वापस ले लेना चाहिए था। इससे सैकड़ों किसानों की जान नहीं जाती। गुरू पर्व पर सरकार द्वारा यह फैसला लेना बेहद सराहनीय है। किसान इसकी प्रशंसा करते हैं।

सरकार को झुकना पड़ा, किसानों की हुई जीत
कांग्रेस जिलाध्यक्ष अशफाक सकलैनी ने कहा देश के अन्नदाताओ ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया, अन्याय के खिलाफ किसानों की यह बड़ी जीत है। लगभग एक साल से तीन कृषि कानून के विरोध में देश के किसान आंदोलन कर रहे थे। लेकिन अफसोस इस बात का है कि आंदोलन में इस देश के लगभग 800 किसान शहीद हो गए तक कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की गई है।

अच्छे कानूनों को लोग सही तरह से नहीं समझ पाए
कृषि विशेषज्ञ डा. कुलदीप विश्नोई ने कहा कि विगत 30 वर्षों की रिसर्च ने साबित कर दिया था कि इस तरह के कानून किसानों की दशा और खेती को लाभकारी बनाने के लिए अत्यधिक आवश्यक हैं। लेकिन इसे देश का दुर्भाग्य कहा जाएगा इतने अच्छे कानूनों को लोग सही तरह से नहीं समझ पाए। इस कानून को लागू करने से सरकार के साथ-साथ किसानों को काफी हद तक मजबूती मिलती।

चुनाव के मद्देनजर लिया यह फैसला
समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष अगम मौर्या ने कहा कि सरकार किसानों के हित में नहीं चंद पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है। जनहित से मोदी सरकार का कोई सरोकार नहीं है। सरकार ने चुनाव के मद्देनजर यह फैसला लिया गया। चुनाव ना होता तो भाजपा किसानों को मरने देती। इसके बाद भी भाजपा अब उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं जीतेगी।

सिर्फ कृषि कानून की वापसी से नहीं चलेगा काम
कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव चौधरी असलम मियां ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के थके हारे कदम का सभी स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी से काम नहीं चलेगा। भाजपा सरकार की इस जिद से जो सैकड़ों किसान मारे गए हैं उनके परिवारों से माफी मांगनी होगी। उनको मुआवजा भी मिलना चाहिए।

प्रवक्ता अर्थशास्त्र एवं कृषि विशेषज्ञ डा. मेहंदी हसन का कहना है कि तीनों बिलों को रद्द करने का ऐलान कहीं ना कहीं राजनीति से भरा है। पंजाब, यूपी,उत्तराखंड समेत पांच राज्यों मे विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। मोदी जी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि किसानों का सामना नहीं कर पाएंगे और करारी हार का सामना करना पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के सभी पदाधिकारियों की वजह से यह जीत हुई।

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