हल्द्वानी: एनएच 109 पर अधिग्रहण का ‘ग्रहण’, रुद्रपुर से लेकर काठगोदाम तक हालात बद से बदतर
अभिषेक आनंद, अमृत विचार। रामपुर से काठगोदाम के बीच बन रहा राष्ट्रीय राजमार्ग (पहले एनएच87, अब एनएच109) बदहाल हो रहा है। उत्तर प्रदेश के रामपुर में तो काम 85 फीसदी पूरा हो चुका है लेकिन उत्तराखंड में हालात बद से बदतर हो रहे हैं। रुद्रपुर से लेकर काठगोदाम तक इस राजमार्ग पर सफर किसी चुनौती …
अभिषेक आनंद, अमृत विचार। रामपुर से काठगोदाम के बीच बन रहा राष्ट्रीय राजमार्ग (पहले एनएच87, अब एनएच109) बदहाल हो रहा है। उत्तर प्रदेश के रामपुर में तो काम 85 फीसदी पूरा हो चुका है लेकिन उत्तराखंड में हालात बद से बदतर हो रहे हैं। रुद्रपुर से लेकर काठगोदाम तक इस राजमार्ग पर सफर किसी चुनौती से कम नहीं है। बार-बार दावों के बाद भी अभी तक भूमि अधिग्रहण का काम पूरा नहीं हो सका है।
केंद्र सरकार ने रामपुर से काठगोदाम तक नेशनल हाईवे 87 (अब 109) को फोरलेन बनाने के लिए चार जुलाई को 2012 भूमि अधिग्रहण नोटिफिकेशन जारी किया था। जुलाई 2013 में जमीन अधिग्रहण शुरू हो गया। रामपुर से काठगोदाम तक तकरीबन 93 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग का शिलान्यास नौ फरवरी 2016 को रुद्रपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया था। तब इस राजमार्ग के लिए बजट जारी नहीं हुआ था लेकिन सद्भाव कंपनी को कार्यदारी संस्था बना दिया गया था। दो महीने बाद इसका अनुबंध हो सका तब इसके लिए समयसीमा 760 दिन की तय की गई थी।
उत्तराखंड में इस राजमार्ग के लिए तकरीबन 70 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना था। इसमें से 23 हेक्टेयर भूमि वन विभाग की शामिल थी। तकरीबन 11सौ करोड़ की इस परियोजना को कार्यदायी संस्था ने दो भागों में विभाजित कर लिया था। एक भाग रामपुर व दूसरा भाग ऊधमसिंह नगर, नैनीताल जिले का शामिल था। कोरोना काल में इस परियोजना की गति थोड़ी धीमी हुई लेकिन रामपुर जिले में 83 प्रतिशत पूरा कर जनवरी 2021 में कोयला टोल प्लाजा पर शुल्क भी लिया जाने लगा लेकिन उत्तराखंड के हिस्से वाला काम आगे नहीं बढ़ सका है। रुद्रपुर में ओवरव्रिज का काम शुरू नहीं हो सका है।
यहां पर अतिक्रमण का पेंच फंसा हुआ है। सिडकुल से लालकुआं, तीन पानी तक हालात बद से बदतर हैं। तीन पानी से हल्द्वानी बाइपास मात्र डेढ़ किलोमीटर पर एक लेन का ही काम हुआ। इसके आगे तकरीबन 12 किलोमीटर के क्षेत्र में काम शुरू ही नहीं हो सका है। कोरोना काल के बाद जब ऊधम सिंह नगर जिला प्रशासन की ओर से सख्ती दिखाई गई तो कार्यदायी संस्था ने बजट न होने का बहाना बनाकर हाथ खड़े कर दिए गए।
कार्यदायी संस्था से जुड़े अधिकारी नैनीताल जिले में परियोजना की लेटलतीफी के लिए भूमि अधिग्रहण के पेंच को जिम्मेदार बता रहे हैं। इनका कहना है कि गौलापार क्षेत्र में किसानों से मामला नहीं सुलझ सका है तो लालकुआं क्षेत्र में वन विभाग की ओर से मिलने वाली भूमि का मामला नहीं सुलझा है। इसी के चलते नैनीताल जिले में काम बेहद सुस्त चल रहा है।
कभी मिट्टी तो कभी दूसरे बहाने बना रही है कंपनी
कुछ तो सरकारी तंत्र की लेटलतीफी जिम्मेदार है तो कुछ कार्यदायी संस्था की बहानेबाजी भी इस परियोजना की लेटलतीफी के लिए जिम्मेदार है। पंतनगर से लालकुआं और फिर हल्द्वानी तक बीच में कई जगह निर्माण अधूरा है। कोरोना काल के बाद ऊधम सिंह नगर जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई तो संस्था ने मिटटी की कमी का बहाना बना दिया।
धूल के गुबार बना रहे हैं बीमार
लालकुआं से लेकर तीन पानी तक हालात बद से बदतर हैं। हल्दूचौड़, मोतीनगर, मोटाहल्दू, गोरापड़ाव, तीन पानी पर उड़ते धूल के गुबार से लोगों का जीना मुहाल है। हालांकि, कार्यदायी संस्था की ओर से जनाक्रोश को देखते हुए इस क्षेत्र में पानी का छिड़काव किया जाता है, लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरा साबित होता है। ग्रामीण बार-बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं।
अब मार्च तक हालात सुधरने की उम्मीद
एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर योगेंद्र कुमार शर्मा की मानें तो भूमि अधिग्रहण व दूसरे तकनीकी दिक्कतों के चलते बीच में काफी दिन तक ये काम बंद रहा लेकिन अब इसको लेकर सख्ती फिर से शुरू हुई है। एनएचएआई व कार्यदायी संस्था के बीच अस्थाई अनुबंध हुआ है। उसमें तय हुआ है कि लालकुआं से लेकर काठगोदाम तक का 75 प्रतिशत काम 31 मार्च 2022 तक पूरा हो जायेगा। जबकि गौलापार बाइपास पर रेलवे क्रासिंग का काम जून 2022 तक पूरा हो सकेगा।
इस राह में यहां पर दिक्कतें
1- सिडकुल से आगे दिनेशपुर मोड़ तिराहे से हल्द्वानी मोड़ तक कार्य अधूरा
2- नगला की ओर भी ओवरब्रिज बीते साढ़े तीन साल से निर्माणाणीन
3- पंतनगर से नगला बाइपास तक एक तरफ की लेन का निर्माण
4- नगला बाइपास से लालकुआं की ओर एक किमी तक काम शुरू ही नहीं
5- लालकुआं से तीनपानी तक कहीं एक तरफ निर्माण तो कहीं अधूरा काम
6- तीन पानी से गौला पुल तक एक लेन का ही निर्माण पूरा हो सका
7- गौलापुल से काठगोदाम तक कहीं भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका