लखीमपुर-खीरी: रास नहीं आ रही गवाहों को सुरक्षा, लौटाने लगे गनर

लखीमपुर-खीरी: रास नहीं आ रही गवाहों को सुरक्षा, लौटाने लगे गनर

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। तिकुनियां हिंसा मामले में गवाही देने वालों को शुरुआती दौर में मिली सुरक्षा काफी भा रही थी, लेकिन अब यही सुरक्षा गवाहों को रास नहीं आ रही है। स्पेशल जांच टीम 90 से अधिक गवाहों को अब तक सुरक्षा उपलब्ध कराई है, लेकिन इनमें से अधिकतर लोगों को अब गनर से मोहभंग …

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। तिकुनियां हिंसा मामले में गवाही देने वालों को शुरुआती दौर में मिली सुरक्षा काफी भा रही थी, लेकिन अब यही सुरक्षा गवाहों को रास नहीं आ रही है। स्पेशल जांच टीम 90 से अधिक गवाहों को अब तक सुरक्षा उपलब्ध कराई है, लेकिन इनमें से अधिकतर लोगों को अब गनर से मोहभंग हो रहा है। करीब आठ लोगों ने सुरक्षा वापस करने के लिए अर्जी भी स्पेशल टीम के पास लगाई है। तीन अक्तूबर को तिकुनियां में हिंसा हुई थी, जिसमें चार किसानों, तीन भाजपा कार्यकर्ताओं और एक पत्रकार की हत्या कर दी गई थी।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे की महिंद्रा थार से चार किसानों की हुई मौत के बाद से पूरे देश का माहौल गर्मा गया था। उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब सहित कई प्रदेशों में भी उग्र प्रदर्शन हुए थे। किसान संयुक्त मोर्चा ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस प्रकरण में पुलिस ने दो मुकदमें दर्ज किए थे। पहले मुकदमा मृतक किसान के परिजनों की तरफ से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के पुत्र आशीष मिश्र को नामजद कर 15-20 अज्ञात के खिलाफ दर्ज हुआ था, जबकि दूसरा हत्या का मुकदमा भाजपा कार्यकर्ता शहर के मोहल्ला अयोध्यापुरी निवासी सभासद सुमित जायसवाल ने अज्ञात किसानों के खिलाफ दर्ज कराया था।

दोनों मामलों की जांच एसआईटी कर रही है। तिकुनियां में हुई हिंसा की घटना को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया था। शुरुआती दौर में लचर और धीमी जांच पर फटकार भी लगाई थी। साथ ही गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा देने के कड़े निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रूख को देखते हुए पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ा दिया था और जांच में तेजी आ गई थी। किसानों की तरफ से दर्ज मामले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है, जबिक दूसरी एफआईआर मामले में चार प्रदर्शनकारी किसानों को गिरफ्तार किया है।

सभी जेल में है। स्पेशल जांच टीम इस मामले में अब तक 90 से अधिक लोगों की गवाही अदालत में करा चुकी है। कुछ गवाहों ने खुद को खतरा बताया था और वह सुरक्षा की मांग कर रहे थे, जिन्हें पुलिस ने एक-एक गनर उपलब्ध कराया था। शीर्ष अदालत की सख्ती पर पुलिस ने सभी गवाहों को सुरक्षा की दृष्टि से गनर दिए थे। कुछ दिनों तक गवाहों ने गनर के साथ घूमकर गांव और आसपास क्षेत्रों में अपना भौकाल दिखाया और रुतबा जमाया, लेकिन अब उन्हें यह गनर रास नहीं आ रहे हैं।

सुरक्षा प्राप्त करने वाले कुछ गवाहों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गनर होने के कारण उन्हें खेती-बाड़ी से लेकर घरेलू काम करने में भी काफी दिक्कत होती है। साथ ही दिनचर्या भी प्रभावित होती है। इसलिए वह गनर नहीं चाहते हैं। स्पेशल जांच टीम के सूत्रों ने बताया कि करीब आठ गवाहों ने गनर वापस करने को लेकर शिकायती पत्र दिया है, लेकिन अभी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस गवाहों की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। उच्चाधिकारियों के आदेश पर ही इन प्रार्थनापत्रों पर विचार किया जाएगा।

यह था पूरा मामला
कोतवाली तिकुनियां क्षेत्र में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी का पैतृक गांव बनवीरपुर है। करीब 30 सालों से उनके पिता अंब्रिका प्रसाद की स्मृति में हर साल दो अक्तूबर के उपलक्ष्य में विराट दंगल प्रतियोगित गांव में होती चली आ रही है। तीन अक्तूबर को भी दंगल का आयोजन हुआ था, जिसमें उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या भी शामिल होने जा रहे थे।

इधर तीन कृषि कानून व केंद्रीय मंत्री की किसानों के प्रति की गई टिप्पणी से नाराज किसान संगठनों के लोग तिकुनियां में बनाए गए हेलीपैड पर कब्जा काले झंडे लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। दोपहर बाद करीब तीन बजे केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्र की महिंद्रा थार गाड़ी से कुचलकर चार किसानों की मौत के बाद हिंसा भड़क गई थी। कुछ प्रदर्शनकारियों ने तीन भाजपा कार्यकर्ताअ ों की पीटकर हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।