बरेली: प्रोत्साहन धनराशि पाने के लिए वित्त व लेखा कार्यालय के चक्कर काट रहीं प्रधानाध्यापिका

बरेली: प्रोत्साहन धनराशि पाने के लिए वित्त व लेखा कार्यालय के चक्कर काट रहीं प्रधानाध्यापिका

बरेली, अमृत विचार। शिक्षा विभाग में व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए अनेक दावे किए जा रहे हैं लेकिन सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों के अड़ियल रवैया है कि सुधरने का नाम नही लें रहा। विभाग के दफ्तरों में काम कराने के लिए आने वालों को महीनों नहीं बल्कि वर्षों तक चक्कर काटने को विवश होना पड़ …

बरेली, अमृत विचार। शिक्षा विभाग में व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए अनेक दावे किए जा रहे हैं लेकिन सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों के अड़ियल रवैया है कि सुधरने का नाम नही लें रहा। विभाग के दफ्तरों में काम कराने के लिए आने वालों को महीनों नहीं बल्कि वर्षों तक चक्कर काटने को विवश होना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला लंबे समय से राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत कांधरपुर क्षेत्र में स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन का है।

उनके द्वारा शासनादेश के अनुसार पुरस्कार प्राप्ति की तिथि को आधार मानते हुए जुलाई 2016 के बराबर प्रोत्साहन धनराशि मिलने की मांग की जा रही है। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अगली वेतन वृद्धि के लिए वित्त व लेखा आधिकारी को अनेक पात्र जारी किए। सभी पत्र शिथिलता के कारण ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। अधिकारियों के भेदभाव पूर्ण रवैये की वजह से उन्हें सिर्फ 680 रूपए का लाभ दिया जा रहा है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी और वित्त व लेखा अधिकारी से शिकायत की गई है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है।

कई बार शिकायत करने पर भी नहीं होती सुनवाई
बीएसए को दिए पत्र के मुताबिक उनका कहना है कि प्रोत्साहन धनराशि देने के लिए अगली वेतन वृद्धि की गणना शासनादेश के अनुसार पुरस्कार प्राप्ति के बाद होनी चाहिए लेकिन उनके लिए अधिकारियों द्वारा पुरस्कार वर्ष से दी जा रही है। शासनादेश के अनुसार अध्यापकों को अगली वेतन वृद्धि के बराबर प्रोत्साहन धनराशि देने के लिए स्पष्ट रूप से कहा गया है। बताया कि उन्हें 5 सितंबर 2015 को पुरस्कार दिया गया है।

भेदभाव पूर्ण विभाग का रवैया
उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों में सम्मानित होने के वर्ष से ही शासनादेश के अनुसार प्रोत्साहन वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाता है। बल्कि जनपद में भी राज्यपाल ,राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित शिक्षकों को भी पुरस्कार प्राप्ति की तिथि को ही आधार बनाया गया है। इस संबंध में लेखा अधिकारी लापरवाही के कारण उन्हें कार्यालयों के चक्कर काटने को विवश होना पड़ रहा है।

उनका कहना है कि वह सभी तथ्यों पर पर्याप्त समय लेकर अधिकारियों से विचार करने की मांग कर चुकी हैं लेकिन भेदभाव से परिपूर्ण अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। जबकि उनके साथ पुरस्कृत हुए अन्य शिक्षकों को पुरस्कार प्राप्ति की तिथि को आधार मानते हुए वेतन वृद्धि का लाभ दिया जा रहा है। इसके पर्याप्त साक्ष्य विभाग के पास उपलब्ध हैं।

शासनादेश के अनुसार प्रधानाध्यापिका की प्रोत्साहन राशि में वृद्धि की गई है, जो पूर्व में 500 रुपये थी। उसे बढ़ा कर 680 कर दिया गया है। उनको 2015 में सम्मानित किया गया है। इस हिसाब से उन्हें उचित वेतन वृद्धि का लाभ दिया जा रहा है। -योगेश कुमार, वित्त व लेखाधिकारी , बेसिक शिक्षा

प्रधानाध्यापिका के प्रोत्साहन वेतन वृद्धि संबंधित आवश्यक आदेश जारी किए जा चुके हैं। इसके बावजूद भी वह संतुष्ट नहीं होती हैं तो शासन से मार्ग दर्शन की मांग की जाएगी। -विनय कुमार, बीएसए